स्वभाव!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्वभाव – Svabhaava. Nature, property, characteristic.वस्तु का असाधारण और शाश्वत धर्म ही उसका स्वभाव कहलाता है। जैसे- जीव का स्वभाव चेतना या जानना, देखना है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्वभाव – Svabhaava. Nature, property, characteristic.वस्तु का असाधारण और शाश्वत धर्म ही उसका स्वभाव कहलाता है। जैसे- जीव का स्वभाव चेतना या जानना, देखना है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रक्षा – देखभाल, सुरक्षा अहिंसा, मन वचन काय की क्रिया देखभाल कर, करना जिससे जीव घात न हो, पिषाच व्यंतरो का दूसरा भेद। Raksa-To protect all living beings, defence, non-violence, A type of peripatetic deity (Pishach)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्वपर अवभासक – Svapara Avabhaasaka. Something (soul etc.) possessing the knowledge of self and other matters also.स्व और पर को जानने वाला स्व-पर अवभासक कहा जाता है। जैसे दीपक स्वयं को भी प्रकाषित करता है एवं अन्य को भी। अथवा दर्षन के द्वारा आत्म को ग्रहण होता है, तब स्वतः ज्ञान का तथा उसमे…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रत्नवृष्टि – रत्नवर्शा तीर्थकरों के गर्भावस्था में आने के 6 महीने पहले से जन्म पर्यन्त 15 मास तक जो कुबेर माता के आंगन मे रत्नो की वर्शा करते है। Ratnavrsti-Divinely rain of jewels (an auspicious event pertaining to the birth of Jaina lord)
जयमित्र A saint among 7 particular saints (Saptarishis). सप्तऋषियों में एक मुनि . राम के भाई शत्रुघ्न के शासन काल मने इन सप्तऋषियों के प्रभाव से मथुरा नगरी में फैली महामारी दूर हुई थी ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्वतंत्र – Svatammtra. Independent, free, restrictionless.जो पर की अपेक्षा नही करता।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भविष्याभाव संबंध – Bhavisyabhava Sambamdha. A type of relation pertaining to future. संबंध के अनेक भेड़ों में एक भेद “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] पृच्छा – Prccha. Questioning, Asking, One of the 40 rights for the planning of uncertain holy death by a healthy saint. पूछना, सविचार भक्तप्रत्याख्यान विधि के ४० अधिकारों में २१ वाँ अधिकार; संग्रह से अनुग्रह की अनुज्ञा प्राप्त करना
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्रष्टा – Srastaa. The creator.बनाने वाला, विधि, स्रष्टा, विधाता, दैव, पुराकृत, कर्म और ईश्वर ये सब कर्मरुपी ईश्वर के पर्यायवाचक शब्द है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] योगसार – आचार्य यागेन्दु देव द्वारा रचित 108 दोहा प्रमाण अपभ्रंष अध्यात्मिक ग्रंथ। Yogasara-Name of the treatise