परमात्म तत्व!
[[श्रेणी: शब्दकोष]] परमात्म तत्व:The supreme spiritual element.आत्म तत्व ।
त्रिलोकव्याप्त One who is diffused in all three worlds. जो तीनों लोकों में व्याप्त है , लोकपूरण समुदघात, केवली भगवान के आत्मप्रदेशों का घनलोकप्रमाण सर्वलोक में फैल जाना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी: शब्दकोष]]हिम – Hima. Snow or ice, name of a summit of Nandan forest, name of the first Patal (layer) of the 6th hell. बर्फ, नंदन वन का एक कूट, ष्सष्टम नरक का प्रथम पटल।
दासीदास प्रमाणातिक्रम An infraction of possessional limitation of keeping servents.परिग्रह परिमाणव्रत का एक अतिचार, दास दासी के लिए हुए प्रमाण का उल्ंलघन करना।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी: शब्दकोष]]हास्य द्विक – Haasya Dvika. The dyad of Karmic nature pertaining to laughing. हास्य, रति ये दो कर्म प्रकृतियां।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विद्यमान बीस तीर्थकर – Vidyamana Bisa Tirthamkara. The 20 Tirthankaras (Jaina-Lords) situated in videh Kshetra (region). ५ मेरु संबंधी ५ विदेह क्षेत्रों में बीस तीर्थकर सतत् विद्यमान रहते हैं, उनके नाम – सीमंधर, युगमन्धर, बाहु, सुबाहु, संजात, स्वयंप्रभ, ऋषभानन, अनंतवीर्य, सुरिप्रभ, विशालप्रभ, व्रजधर, चन्द्रबाहु, भुजंगम, ईश्वर, नेमिप्रभ, वीरसेन, महाभद्र, देवयश, अजितवीर्य “
[[श्रेणी: शब्दकोष]]हरिषेण (आचार्य) – Harisena (Aacaarya). Name of an Acharya of punnai group, the writer of Vrihant katha kosh, name of an Apabhransh poet. एक पुन्नाटसंधी आचार्य, वृहत्कथा कोष के रचयिता। समय ई. 931, चित्तौड़वासी एक अपभ्रंश कवि, ध्म्मपरिक्खा ग्रंथ के रचयिता। समय – ग्रंथ रचनाकाल वि. 1044।
देवगुरू A Digambar Jain saint possessing supernatural power. एक चरण ऋद्धिधारी मुनि इन्होंने अंतिम समय में वानर को णमोकार मंत्र सुनाया था जिससे मरकर वह सौधर्म स्वर्ग में चित्रांगद नामक देव हुआ था।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी: शब्दकोष]]हरितालमयी – Haritaalamayii. One of the 6 circumference of Sumeru mountain. सुमेरु पर्वत की 6 परिधियो मे प्रथम परिधि, ये 16500 योजन उॅची है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाव नपुंसक – Bhava Napumsaka. Psychologically neutral (sexually) one. जो भाव से न स्त्री रूप है न पुरुष रूप है “