ईशित्व ऋद्धि!
ईशित्व ऋद्धि A miraculous power of supremacy. जिस ऋद्धि के प्रभाव से साधु को सारे जगत पर प्रभुत्व करने की शक्ति प्राप्त हो।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
ईशित्व ऋद्धि A miraculous power of supremacy. जिस ऋद्धि के प्रभाव से साधु को सारे जगत पर प्रभुत्व करने की शक्ति प्राप्त हो।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
चतुर्दोष Particular four faults related to food. संयोजना , अप्रमाण , अङ्ागर और धूम आहार के ये ४ दोष होते हैं ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सम्मत सत्य – Sammata Satya. Something unanimously accepted or approved. बहुत जनों के द्वारा माना गया जो नाम वह सम्मत सत्य है। जैसे लोक मे राजा की स्त्री को रानी कहना।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संवेदनी कथा – Sanvedanee Kathaa. Tale creating religious sentiments. पुण्य के फल का कथन करने वाली अर्थात् धर्मानुराग बढ़ाने वाली कथा “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] पृष्ठ – Prstha. The back, the rear, the hind part of anything, page. पिछला हिस्सा, कॉपी या किताब का पन्ना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्तूप – Stuupa. A dome shaped structure ( a type of creation in the samavasharana, the assembly of Lord).समवषरण रचना का एक अंग। ये समवषरण की वीथियो के मध्यभाग मे बनाये जाते है। अर्हत और परमेष्ठियो की प्रतिमाये इनके चारो और स्थापित की जाती है।
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == निदान : == अगणियत्या यो मोक्षमुखं, करोति निदानमसारसुखहेतो:। स काचमणिकृते, वैडूर्यमणिं प्रणाशयति।। —समणसुत्त : ३६६ जो व्रती मोक्ष—सुख की उपेक्षा या अवगणन करके (परभव में) असार सुख की प्राप्ति के लिए निदान या अभिलाषा करता है, वह कांच के टुकड़े के लिए वैडूर्यमणि को गंवाता है। छेत्तूण य…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रघुनाथ – न्यायदर्षन में नव्यन्याय के प्रसिद्ध प्रणेता, श्रीरामचन्द्र जी का अपरनाम। Raghunatha-Name of a great judiciary founder, Another name of Shri Ram
चिंता Inductive logic, A kind of sensory knowledge. अन्तःकरण की वृत्ति का पदार्थों में व्यापार करना , जैसे – जहां धुआँ हो वहां अग्नि अवश्य होगी ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रूपगताचूलिका – द्वादषांग श्रुतज्ञान के दृश्टिवाद अंग के 5 भेदो मे चूलिका कर एक उपभेद।जिसमें सिंह आदि आकृति धारण करने के मंत्र – तंत्र का वर्णन है। Rupagataculika-A type of scriptural knowledge (Shrutgyan) containing description of mystical theory