राक्षस विवाह!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] राक्षस विवाह – विवाह का एक भेद इसमे कन्या का बलपूर्वक अपहरण करके उससे विवाह किया जाता है। Raksasa Vivaha- A type of marriage (A forceful marriage without consent of girl)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] राक्षस विवाह – विवाह का एक भेद इसमे कन्या का बलपूर्वक अपहरण करके उससे विवाह किया जाता है। Raksasa Vivaha- A type of marriage (A forceful marriage without consent of girl)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शैलेशी अवस्था – Shaileshee Avasthaa. Motionless state, state of absolute meditation.. पत्थर की मूर्ती के समान निश्छल ध्यानावस्था ” वन में इस प्रकार के ध्यानी मुनियों के शरीर से हिरण आदि पशु उन्हें पत्थर समझकर उनसे अपने शरीर को रगड़कर अपनी खाज मिटाते हैं ” अंतिम शुक्लध्यान की अवस्था “
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वर्णकूला नदी – Svarnakuulaa Nadii. Name of a river of Hairanyavata region. हैरण्यवत क्षेत्र की एक नदी। यह 14 महानदियो मे 11वीं महानदी है एवं पुण्डरीक सरोवर से निकलती है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] राजमती – जूनागढ के राजा उग्रसेन की पुत्री, जिनका विवाह राजा नेमिनाथ के साथ होने वाला था, किन्तु कारण वष नेमिनाथ के दीक्षा लेते ही राजुल ने भी कौमार्य अवस्था मे ही आर्यिका दीक्षा धारण कर ली। पुन यही नेमिनाथ भगवान के समवषरण में मुख्य आर्यिका बनी। Rajamati-Name of a chief Aryika (ganini) in…
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मेखलापुर– Mekhalpur. A city in the southern Vijayardh mountain. विजयार्धकी दक्षिण श्रेणी का एक नगर”
[[श्रेणी: शब्दकोष]] स्वरुप – Svruupa. Own form or shape, nature. आकृति आकार लक्षण।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] राजुलमती – जूनागढ के राजा उग्रसेन की पुत्री, जिनका विवाह राजा नेमिनाथ के साथ होने वाला था, किन्तु कारण वष नेमिनाथ के दीक्षा लेते ही राजुल ने भी कौमार्य अवस्था मे ही आर्यिका दीक्षा धारण कर ली। पुन यही नेमिनाथ भगवान के समवषरण में मुख्य आर्यिका बनी। Rajulmati- Name of a chief Aryika (ganini)…
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == संल्लेखना : == संलेखना च द्विविधा, अभ्यन्तरिका च बाह्या चैव। अभ्यन्तरिका कषाये, बाह्या भवति च शरीरे।। —समणसुत्त : ५७४ संल्लेखना दो प्रकार की है—आभ्यन्तर और बाह्य। कषायों को कृश करना आभ्यन्तर संल्लेखना है और शरीर को कृश करना बाह्य संल्लेखना है। कषायान् प्रतनून् कृत्वा, अल्पाहार: तितिक्षते। अथ भिक्षुग्र्लायेत्…
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वरकीर्ति – Svarakiirti. Name of a Bhattarak of Nandi group. न्ंदिसंध बलात्कार गण की भट्ठारक, आम्नाय वारां की गट्ठी के भट्ठारक (समय वि.सं. 1167), अपरनाम सूरकीर्ति। ये भावनंदि के शिष्य तथा विद्याचन्द्र के गुरु थे।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संतिणाहचरिउ – Santinaahacariu. Name of a treatise written by Subhkirti Bhattarak. शुभकीर्ति भट्टारक (ई. 1437) कृत अपभ्रंश भाषाबद्ध ग्रंथ “