पुरुषाकार!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुरुषाकार – Purusakara. A particular standing posture of male (shape of Teen Lok). तीन लोक का आकार पुरुषाकार कहलाता है (दोनों पैर फैलाकर दोनों हाथों को कमर पर रखकर खड़े पुरुष का आकार) “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुरुषाकार – Purusakara. A particular standing posture of male (shape of Teen Lok). तीन लोक का आकार पुरुषाकार कहलाता है (दोनों पैर फैलाकर दोनों हाथों को कमर पर रखकर खड़े पुरुष का आकार) “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == सुख : == जं च कामसुहं लोए जं च दिव्वं महासुहं। वीतरागसुहस्सेदे णंतभागं पि णग्घई।। —मूलाचार : १४४ लोक में काम—भोगों से मिलने वाला सुख और देवों को मिलने वाला महासुख उस सुख का अनंतवाँ हिस्सा भी नहीं, जो वीतराग को प्राप्त हुआ करता है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुरातत्त्व – Puratattva. Archaeology. पुरातन, प्राचीन अवशेष “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भद्रबाहुचरित – Bhadrabahucarita. A book written by Acharya Ratnakirti. आचार्य रत्नकीर्ति (ई. १५१५) द्वारा रचित एक ग्रंथ “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रज्ञावती – Pragyaavatee. Mother’s name of Lord Mallinath. मल्लिनाथ भगवान की माता का नाम “
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मुखधन – Mukhdhan. Something principal. आदि स्थान में जो प्रमाण या संख्या है वह मुखधन कहलाती है”
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विपाक – Vipaka. Fruition of karmas. कर्मों का फल देना अथवा द्रव्य, क्षेत्र, काल, भव, भाव इन ५ निमित्तों के द्वारा कर्मों का अनेक प्रकार से पाक होना अथवा फल देना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भास्कर वेदांत – Bhaskara Vedanta. A particular philosophy (“Everyone gets en- grossed into Brahma after death”). द्वैताद्वैत; संसार में जीव अनेक हैं किन्तु मुक्त होने पर सब ब्रम्ह में लीन हो जाते हैं ऐसा मानना “
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मिथ्या श्रुतज्ञान–Mithya shrutagyan. False scriptural knowledge. मिथ्यादर्शन के उदय के साथ श्रुतज्ञान मिथ्या श्रुतज्ञान कहलाता है”
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाववान् – Bhavavan. Something having volitional quality. परिणाम मात्र; परिणामी होने से सभी द्रव्य भाववान हैं “