मुनि श्री अतुल्य सागर जी
विलक्षण प्रतिभा ने बनाया चक्रेश को अतुल्य सागर प्रेम, करूणा, दया, साहस, सेवा - भाव व ज्ञान सभी गुण एक व्यक्ति में पाये जाएं तो निश्चित रूप से वह विशिष्ट व्यक्तितत्व ही होगा। इतनी विशिष्टताओं के साथ वैरागय भी जुड जाये तो यह विशिष्टता विलक्षण हो जाती हैं। पहले सेवा फिर समाज सेवा व उसके...