जैनधर्म में अहिंसा का विवेचन
जैनधर्म में अहिंसा का विवेचन अहिंसा-एक अनुचिन्तन अहिंसा वह विराट, व्यापक व उदात्त भावना है, जिसमें विश्वकल्याण की सामर्थ्य निहित है। वह समस्त प्राणियों के प्रति अहिंसा के हृदय से सतत प्रवाहित होने वाला स्नेह निर्झर है। प्राणिमात्र के प्रति समदृष्टि है। एकता की प्रगाढ़ अनुभूति है। जिजीविषा और सुखलिप्सा प्राणिमात्र की सहजवृत्ति है। अहिंसा,…