जैनधर्म के चौदहवें तीर्थंकर श्री अनन्तनाथ भगवान्
जैनधर्म के चौदहवें तीर्थंकर श्री अनन्तनाथ भगवान् दोष अनन्त नष्ट कर, जिनने गुण अनत को प्राप्त किया । तीर्थंकर अनन्त बन कर इस जगती का उपकार किया ।। नमन करें हम आज उन्हें और निज अनन्त पद पायें । सोलहकरण भावना भायें, औ जिन अनन्त बन जायें ।। धातकी खण्ड द्वीप के पूर्व मेरु से…