गणधरवलय विधान की आरती तर्ज—चाँद मेरे आजा रे……….. आरती गणधर स्वामी की। ऋद्धि समन्वित, सबका करें हित, निज में सदा रत रहते।।टेक.।। मुनि व्रत धारण कर जो नर, उग्रोग्र तपस्या करते। तप के ही बल पर वे मुनि, नाना ऋद्धी को वरते।। आरती गणधर स्वामी की ।।१।। श्री विष्णुकुमार मुनी…
क्षेत्रपाल देव की आरती तर्ज—झुमका गिरा रे…………. आरति करो रे, श्री क्षेत्रपाल देवा की सब मिल आरति करो रे, आरति करो, आरति करो, आरति करो रे।।श्री…।।टेक.।। विजय वीर मणिभद्र कहाते, आभा तेरी न्यारी है, अपराजित भैरव भी नाम हैं, कूकर वाहन धारी हैं। आरति करो………….. सम्यग्दृष्टी देवा की सब मिल…
कुण्डलपुर तीर्थ की आरती तर्ज— हे वीर तुम्हारे द्वारे पर………… त्रिशला के ललना महावीर की, जन्मभूमि अति न्यारी है। आरति कर लो कुण्डलपुर की, तीरथ अर्चन सुखकारी है।।टेक.।। है प्रांत बिहार में कुण्डलपुर, जहाँ वीर प्रभू ने जन्म लिया। राजा सिद्धार्थ और त्रिशला, माता का आंगन धन्य किया।। उस नंद्यावर्त महल की सुन्दरता ग्रन्थों…
कौशाम्बी तीर्थ की आरती तर्ज—प्रभु आरति….. कौशाम्बी तीरथ की, हम आरति करते हैं-२ पद्मप्रभू की जन्मभूमि की, आरति करते हैं। तीरथ की आरति करके, सब आरत टलते हैं।।कौशाम्बी.।।टेक.।। नृप धरणराज पितु तेरे-हाँ तेरे, अरु मात सुसीमा की कुक्षि से जन्मे। इक्ष्वाकुवंश के भास्कर-हाँ भास्कर, पद्मा के आलय, वन्दन तव पदयुग में।।…
अयोध्या में जन्मे भगवान अनंतनाथ की आरती पूज्य आर्यिका श्री चंमती माताजी के द्वारा लिखी गई है जो आपके लिए ऑडियो सहित यहाँ प्रस्तुत की गई है |