सरस्वती मंगल आरती पं. आशाधर सूरि जय मंगलं भवतु शुभमंगलं, जय शीलविमलतरललितांगि ते ।।१।। अर्थ:- जय हो, मंगल हो, शुभ मंगल हो। शील, अति विमल एवं ललित अंगो वाली हे सरस्वती तुम्हारी जय हो। सुरनरोरगमुकुटकिरणरंजितचरणे, परमजिनमुखकमलसंभवति ते।दुरितघनवनविषयतरुनिकरपरशुनिभे, वरसदागमसारस्यंदितनु ते।।२।।जयमंगलं…….. अर्थ:- देवों,मनुष्यों एवं उरगों के मुकुट मणियों की किरणों…
महालक्ष्मी की आरती रचयित्री – प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चंदनामती तर्ज- चांद मेरे आजा…….. आरती लक्ष्मी देवी की-२ धन धान्य की सम्पत्ति देने वाली, माँ की करो आरतिया।। ।।आरती.।। जिनशासन में जिनवर की, ये भक्त कही जाती हैं। जो इनकी भक्ती करते, उनके घर में आती हैं।। आरती लक्ष्मी देवी की।।१।। प्रभु…
पद्मावती माता की आरती तर्ज—मैं तो आरती उतारूँ रे………….. मैं तो आरती उतारूँ रे, पद्मावती माता की जय जय माँ पद्मावती, जय जय माँ।।टेक.।। सदा होती है जयजयकार, माँ के मंदिर में-२ लागी भक्तन की भीड़ अपार, माँ के मंदिर में-२ पुष्प लाओ, धूप जलाओ, स्वर्णमयी दीप लाओ, आरती उतारो…
पद्मावती माता की आरती पद्मावती माता, दर्शन की बलिहारियां।। टेक०।। पार्श्वनाथ महाराज विराजे मस्तक ऊपर थारे, माता मस्तक ऊपर थारे। इन्द्र, फणेन्द्र, नरेन्द्र सभी मिल, खड़े रहें नित द्वारे। हे पद्मावती माता, दर्शन की बलिहारियां।। दो बार।। जो जीव थारो शरणो लीनो, सब संकट हर लीनो, माता सब संकट हर लीनो। पुत्र, पौत्र, धन, धान्य,…
षट्खण्डागम विधान की आरती तर्ज-चाँद मेरे आ जा रे…………… आज हम आरति करते हैं-२ षट्खण्डागम ग्रंथराज की, आरति करते हैं।।टेक.।। महावीर प्रभू के शासन का ग्रंथ प्रथम कहलाया। उनकी वाणी सुन गौतम-गणधर ने सबको बताया।। आज हम आरति करते हैं-२ वीरप्रभू केपरम शिष्य की, आरति करते हैं।।१।। क्रम परम्परा से यह श्रुत, धरसेनाचार्य…
सरस्वती माता की आरती रचयित्री-प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चंदनामती तर्ज—झुमका गिरा रे……… आरति करो रे, जिनवाणी माता सरस्वती की आरति करो रे। द्वादशांगमय श्रुतदेवी का श्रेष्ठ तिलक सम्यग्दर्शन। वस्त्र धारतीं चारित के चौदह पूरब के आभूषण।। आरति करो, आरति करो, आरति करो रे, आकार सहित उन श्रुतदेवी की आरति करो रे।।१।। इनके आराधन से…
सिद्धायिनी माता की आरती (इसमें किसी भी देवी का नाम लेकर उनकी आरती कर सकते हैं) तर्ज—लेके पहला पहला प्यार……….. जय जय हे सिद्धायिनि मात, तेरे चरण नमाते माथ तेरी आरति से मिटता है जग संताप ।। तेरे भक्त खड़े तेरे द्वार, बिगड़े सभी बनातीं काज तेरी आरति से मिटता है जग संताप ।।टेक.।।…
सहस्रनाम विधान की आरती तर्ज—ॐ जय…………. ॐ जय अन्तर्यामी, स्वामी जय अन्तर्यामी। सहस आठ गुणधारी, सिद्धिप्रिया स्वामी।।ॐ जय.।।टेक.।। निज में निज हेतू ही, निज को जन्म दिया।स्वामी………… अत: स्वयम्भू कहकर, जग ने नमन किया।।ॐ जय.।।१।। चार घातिया नाश अर्ध, नारीश्वर कहलाए।स्वामी ईश्वर……. जग के शांति विधाता, शंकर कहलाए।।ॐ जय.।।२।। इन्द्र सहस्र नेत्रों से, तेरा…
सहस्रकूट जिनबिम्ब की आरती तर्ज—झुमका गिरा रे……. आरति करो रे, श्री सहस्रकूट के जिनबिम्बों की आरति करो रे। टेक.।। इनकी आरति जनम जनम के, पाप तिमिर को हरती है। पुण्य सूर्य की दिव्यप्रभा से, अन्तर कलियाँ खिलती हैं।। आरति करो, आरति करो, आरति करो रे, श्री सहस्रकूट के जिनबिम्बों की आरति करो रे।।१।। श्री…