पंचपरमेष्ठी स्तुति
पंचपरमेष्ठी स्तुति सोरठा भवजलनिधी जिहाज, पंचपरम गुरु जगत में। तिनके चरण त्रिकाल, प्रणमूँ भक्ति वश सही।।१।। (चाल-हे दीनबन्धु….) जैवंत अरीहंत देव, सिद्ध अनंता। जैवंत सूरि उपाध्याय साधु महंता।। जैवंत तीन लोक में ये पंचगुरु हैं। जैवंत तीन काल के भी पंचगुरु हैं।।२।। अर्र्हंत देव के हैं छियालीस गुण कहे। जिन नाम मात्र से ही पाप…
 
				
			 
				
			 
				
			 
				
			 
				
			 
				
			 
				
			