जन्मकल्याणक वन्दना
जन्मकल्याणक वन्दना जै जै जिनेन्द्र आपने अब जन्म था लिया। संपूर्ण लोक में महा आश्चर्य भर दिया।। सुरगृह में कल्पवृक्ष पुष्पवृष्टि कर झुवें। देवों के सिंहासन भी आप आप वंप उठें।।१।। शीतल सुगंध वायु मंद मंद बही थी। पृथ्वी भी तो हिलने से मनों नाच रही थी।। संपूर्ण दिशायें गगन भी स्वच्छ हुये थे। सागर...