03. जिनसहस्रनाम स्तोत्र (तृतीय अध्याय)
1 2 3 4 जिनसहस्रनाम स्तोत्र (हिन्दी)- अध्याय (३) नरेन्द्र छंद समीचीन गुणसहित आप, अतिशय स्थूल कहे हो। ‘स्थविष्ठ’ नाम के धारी, त्रिभुवन पूज्य भये हो।। प्रभु तुम नाम मंत्र को वंदत, आतम निधि को पाऊँ। परमाल्हाद परमसुख अमृत, पीकर शिवपद पाऊँ।।२०१।। वृद्ध आप ज्ञानादिगुणों से, अत ‘स्थविर’ कहाये। मुक्तीपद में तिष्ठ रहे हो, मुनिगण...