चन्द्रप्रभचरित!
चन्द्रप्रभचरित Name of books written by different Acharyas separately. आचार्य वीरनंदि (ई.९५०-९९९) कृत महाकाव्य, आचार्य श्रीधर (ई.श. १४) की प्राकृत रचना, आचार्य शुभचंद्र (ई. १५१६-१५५६) की संस्कृत रचना ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
चन्द्रप्रभचरित Name of books written by different Acharyas separately. आचार्य वीरनंदि (ई.९५०-९९९) कृत महाकाव्य, आचार्य श्रीधर (ई.श. १४) की प्राकृत रचना, आचार्य शुभचंद्र (ई. १५१६-१५५६) की संस्कृत रचना ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] परवर्ती:Successive, Subsequent.क्रम, वंश अथवा शाखा में होने वाले आचार्य आदि ।
द्रव्यास्तिक नय Substantive standpoint. देखें – द्रव्यार्थिक नय। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
द्रव्यसंयोगपद A special type of nomenclature associated with something. इभ्य, गौथ, दण्डी, छवी, गर्भिणी इत्यादि द्रव्यसंयोग पद नाम है क्योंकि धन, गूथ, दण्डा, छत्ता इत्यादि द्रव्य के संयोग से ये नाम व्यवहार में आते है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भागफल्गु – Bhagaphalgu. Name of the 54th chief disciple of Lord Rishabhdev. तीर्थकर वृषभदेव के ५४ वें गणधर “
द्रव्य युति State of the unity of matters.समीपता या संयोग का नाम युति है जीवयुति, पुद्गलयुति और जीवपुद्गलयुति के भेद से द्रव्य युति तीन प्रकार की है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
द्रव्य पर्याय आरोप Treatment of model appearance (Paryaya) into matter and matter into model appearance. अशुद्ध द्रव्यार्थिक नय से द्रव्य में पर्याय का और पर्याय में दव्य का उपचार करना।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सामान्य उपयोग – Saamaanya Upayoga.. General perception, Another name of Darshanopyog. दर्शनोपयोग जो सामान्य अथवा सत्ता स्वभाव का ग्रहण करता है।
द्रव्यत्व Substantiality. द्रव्य के 6 सामान्य गुणों में एक जिस शक्ति के निमित्त से द्रव्य हमेशा एकसा नहीं रहता, उसकी पर्यायें हमेशा बदलती रहती है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]