देहदेवालय!
देहदेवालय Body as a temple; Place of Lord in the inner part of one’s body. निज परमात्मा का इस नश्वर शरीर रूपी देवालय में स्थान।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
देहदेवालय Body as a temple; Place of Lord in the inner part of one’s body. निज परमात्मा का इस नश्वर शरीर रूपी देवालय में स्थान।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] षट्खंड – Satkhanda. Six parts of Bharat Kshetra (region). जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र आदि के एक आर्य व 5 म्लेच्छ खंड ” इन्ही षट् खंडो को चक्रवर्ती जीतता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] बंधन नामकर्म प्रकृति-शरीर नाम कर्म के उदय से प्राप्त हुए पुद्गलों का अन्योन्य प्रदेश संश्लेष जिसके निमित्त से होता है।इसके अभाव से शरीर लकडि़यों के ढेर जैसा हो जाता है। Bandhana Namakarna Prakrti- physique making karmic nature related to bonding
[[श्रेणी :शब्दकोष]] यज्ञदत्त–Yagyadatta. Name of the 48th& the 51st chief disciples of Lord Rishabhadev. तीर्थंकर वृषभदेव के क्रमशः 48वे एवं 51वेगणधरो का नाम”
श्वेताम्बर – Shvetaambara. A Jaina sect originated from the division of Moolsangh (Digambar). दिगम्बर मान्यतानुसार भगवान महावीर के पश्चात् मूलसंघ दिगम्बर ही था ” बाद में (आज से लगभग दो हजार वर्ष पूर्व) उत्तर भारत में दुर्भिक्ष अकाल पड़ने के कारण कुछ शिथिलाचारी साधुओ ने स्वेताम्बर संघ की स्थापना की “
देशाख्यान To describe a country, mountain, island, ocean etc., of a part of universe. लोक के किसी एक भाग के देश , पर्वत , द्वीप तथा समुद्र आदि का विस्तारपूर्वक वर्णन करना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रोता – Shrotaa. Listeners. धर्म को सुनने वाले पुरुष ” गुण-दोषों की अपेक्षा इनके 14 भेद हैं “
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मैथुन–Maithun. Copulation, Sexual intercourse. स्त्री और पुरुष के मन, वचन व कायस्वरूप विषय व्यापार को मैथुन कहते है”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रुतसागरी – Shrutasaagaree. Name of a commentary book on Tattvarthvritti written by Bhattarak Shrutsagar. श्रुतसागर भट्टारक कृत तत्वार्थवृत्ति की टीका का नाम
देशभूषण Name of a great Acharya possessing supreme knowledge (omniscience), A famous Acharya of 20th century, the spiritual preceptor (initiator) of Ganini Gyanmati Mataji. कुंथलगिरि सिद्धक्षेत्र से मोक्ष प्रापत करने वाले केवली, जिनका उपसर्ग श्री रामचंद्र जी ने दूर किया था, बीसवीं शताब्दी के एक प्रसिद्ध आचार्य जिनसे गणिनी ज्ञानमती माताजी ने सन् 1952-53 में…