लयन कर्म!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लयन कर्म – कर्म का एक भेद लयन अर्थात पर्वत, उसमे निर्मित प्रतिमाओ का नाम लयन कर्म है। Layana Karma-Scripture to carve out lord idol in the mountain
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लयन कर्म – कर्म का एक भेद लयन अर्थात पर्वत, उसमे निर्मित प्रतिमाओ का नाम लयन कर्म है। Layana Karma-Scripture to carve out lord idol in the mountain
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वर्तना – Vartanaa.: Continuous inperceptible minute changes in any matter. द्रव्य के प्रति समय होने वाले परिवर्तन अर्थात प्रत्येक द्रव्य प्रत्येक पर्यायमें प्रति समय जो स्वसत्ता की अनुभूति करता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंचकल्याणक वंदना – Panchakalyaanaka Vandanaa. Devotional celebration of five auspicious events of the life of Tirthankars (Jaina Lord). कृतिकर्म; भगवान के गर्भ, जन्म आदि पांचों कल्याणक की सिद्ध आदि भक्ति पाठ के साथ वन्दना करना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रात्रिक प्रतिक्रमण – रात्रि में हुए दोशों का जो प्रतिक्रमण प्रात सामायिक से पूर्व किया जाता है वह रावित्रक प्रतिक्रमण कहलाता है। Ratrika Pratikarmana- penitential retreat, an observation of Jaina saints pertaining to night infraction
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सूर्यग्रहण – Suryagrahana. Solar eclips. जैन भूगोल के अनुसार सूर्य और पृथ्वी के बीच में केतु ग्रह का मिान आ जाने पर सूर्य का ढॅंक जाना सूर्यग्रहण कहलाता है। यह प्रत्येक छह महीने में अमावस्या के दिन होता है। सूर्यग्रहण के समय कोई शुभ कार्य नही किये जाते है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंच अतिचार – Pancha Atichaar. Five kinds of infractions related to vows. पाँच दोष, प्रत्येक व्रत के पांच-पांच अतिचार “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] यशोधचरित्र – वादिराज द्वि ई 1010 – 1065 कृत, कवि पùनाथ ई 1405 – 1425 कृत, सकलकीर्ति ई 1406 – 1442 आदि विद्वानो द्वारा इस विशय के कइ ग्रन्थ रचे गए है। Yasodharacaritra-A character portrayal by many writers
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सूत्रवचन – SutraVachana. Scriptural facts. आगम वचन या आगम प्रमाण ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पीपल – Pipala. Name of a initiation tree of Lord Anantnath, A type of figs, non-edible according to Jainology. अनन्तनाथ भगवान के दीक्षा वृक्ष का नाम, ५ उदम्बर फलों में एक फल का नाम “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भावना पध्दति – Bhavana Paddhati. Name of a treatise written by Bhattarak Padmanandi. भट्टारक पधनन्दी (ई. १३२८-१३९८) कृत एक ग्रंथ “