एकांतानुवृद्धि!
एकांतानुवृद्धि Complete development of body. नवीन शरीर धारण के दूसरे समय से लेकर एक समय कम शरीर पर्याप्ति के अन्तर्मुहूर्त समय तक जो योगस्थान हो वे एकांतानुवृद्धि हैं।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
एकांतानुवृद्धि Complete development of body. नवीन शरीर धारण के दूसरे समय से लेकर एक समय कम शरीर पर्याप्ति के अन्तर्मुहूर्त समय तक जो योगस्थान हो वे एकांतानुवृद्धि हैं।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[श्रेणी:शब्दकोष]] == निर्लेप : == चरदि जदं जदि णिच्चं, कमलं व जले णिरुवलेवो। —प्रवचनसार : ३-१८ यदि साधक प्रत्येक कार्य यतना से करता है, तो वह जल में कमल की भाँति निर्लेप रहता है।
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार]] [[श्रेणी:शब्दकोष ]] == द्रव्य : == आकाशकालजीवा:, धर्माधर्मौ च र्मूितपरिहीना:। मूर्तं पुद्गलद्रव्यं, जीव: खलु चेतनस्तेषु।। —समणसुत्त : ६२६ आकाश, काल, जीव, धर्म और अधर्म द्रव्य अर्मूितक हैं। पुद्गल द्रव्य र्मूितक है। इन सबमें केवल जीव द्रव्य ही चेतन है। दव्वं सल्लक्खणयं उप्पादव्वयधुवत्तसंजुत्तं। —पंचास्तिकाय : १० द्रव्य का लक्षण सत् है और वह सदा…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शरीर बकुश – Sahreera Bakusha. A type of saints possessing some faults related to decoration of the body. बकुश साधु के दो भेदों में एक भेद; शरीर को साफ़ सुथरा रखने में जिनका विशेष उपयोग रहता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पर संग्रह नय :A standpoint of knowing supreme authority only.स्ंग्रहनय का एक भेद,जो महासत्ता मात्र को ग्रहण करता है।
[[श्रेणी :शब्दकोष]] यमकूट–Yamkut. Name of a summit at Yamkgiri. यमकगिरी पर स्थित एक कूट”
उत्तराषाढ़ नक्षत्र Name of a lunar. एक नक्षत्र वृषभदेव का जन्म और दीक्षा इसी नक्षत्र में हुई थी।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शयन तप – Shayan Tapa. A kind of austerity (related to sleeping posture). कायक्लेश तप का एक भेद, इसके भी लगड़शय्या, अवाक्शय्या, शवशय्या, एकपाशर्वशय्या, अभ्रावकाशशय्या, ये 6 भेद हैं”
आभोग Conducting ritual activities with wrong intention. पूजा महत्व आदि की अभिलाषा से कापोत लेश्यायुक्त भावों द्वारा अति प्रकट अनुष्ठान करना अर्थात् गलत कार्रू करना आभोग है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] परमौदारिक शरीर:Body of Lord Arihant with absolute purity.अहंत परमात्मा का शरीर जिसमें निगोदिया जीव नहीं रहते ,धातु उपधातु सब शुद्व हो जाती है।