जयवर्मा!
जयवर्मा The son of the king Shrishen of Simhpurnagar of Gandhila (a country). गंधीला देश में सिंहपुरनर के राजा श्रीषेण का पुत्र ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
जयवर्मा The son of the king Shrishen of Simhpurnagar of Gandhila (a country). गंधीला देश में सिंहपुरनर के राजा श्रीषेण का पुत्र ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी :शब्दकोष]] म्लेच्छ–Mlechha. Particular parts of earth according to Jain Philosophy, Non Aryan or uncivilized persons, uncultured. विजयार्ध पर्वत व गंगा, सिंधु नदियों के कारण भरत क्षेत्र के छेह खंड हो गए, इनमे से दक्षिण वाला मध्यखण्ड आर्यखंड है एवं any पाँच म्लेच्छ खंड कहलाते है, मनुष्य जाति का एक भेद; जो सदाचार, धर्म कर्म…
जयनंदि The disciple of Devnandi & the spiritual teacher of Gurunandi. देवनंदि के शिष्य व गुरुनंदि के गुरु (वि. शक सं . ३०८-३५८)।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्व – Sra. Self, personal, own.अपना, निजी, आत्मपरक या अपनी जाति से संबंध रखने वाला।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] याचना परिशह जय – जैन साधुओ द्वारा क्षुदा तृश्णा से पीडित होने पर भी अपने लिए दीनता पूर्वक नहीं मांगना अर्थात मौनपूर्वक बाधाओ को सहन करना याचना – परिशह जय कहलाता है। Yacana Parisaha Jaya-Victory over affiictions caused due to hungers & thirst etc. by a saint (i.e. to refrain from begging even in…
जयंता A city of Videh Kshetra (region), Name of a large well of Nandishvardvip (an island), Name of a female deity resident of Ruchak mountain. विदेह क्षेत्र की एक नगरी , नंदीश्र्वर द्वीप की एक वापी , रूचक पर्वत पर निवास करने वाली एक देवी का नाम।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्यादस्ति – Syaadasti The first Bhang of saptbhangi-exposition of the nature of the substance in the aspect of affirmation.सप्तभंगी के 7 भंगो मे प्रथम भंग-स्वद्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव की अपेक्षा द्रव्य कथंचित् अस्ति रुप है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] योजन – क्षेत्र का प्रमाण विषेश। 4 कोस का एक लघु योजन, दो हजार कोस का एका महायोजन होता है। Yojana-A large measurement unit of area
जटायु The famous vulture related to mythology. सीता द्वारा वन म,एन श्री सुगुप्ती मुनि को आहारदान के समय वृक्ष पर बैठे गृद्ध पक्षी को जातिस्मरण हो आया . मुनिराज के चरण प्रक्षालन के जल के प्रभाव से उसका शरीर स्वर्णमाय बनम गया आयुर उसका नाम जटायु पद गया . मुनिराज के उपदेश से उसने अणुव्रत…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्याच्चेतन – Syaaccetana. Exposition of soul in the aspect of consiousness. चेतन स्वभाव प्रधानता की अपेक्षा जीव का कथन।