त्रींद्रिय!
त्रींद्रिय Living beings having three sense organs. जीव जिनके स्पर्शन , रसना और घ्राण इन तीन इन्द्रियधारी तिर्यंचों में जन्म हो। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
त्रींद्रिय Living beings having three sense organs. जीव जिनके स्पर्शन , रसना और घ्राण इन तीन इन्द्रियधारी तिर्यंचों में जन्म हो। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
एकजीव-एक अजीव कर्म Karma related to soul and non soul matters. जीव के उपयोग स्वरूप – द्वेषादिक जीव कर्म, कार्मण स्कंधों की अवस्था अजीव कर्म।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रामपुराण – एक कन्नड कवि पùनाथ द्वारा रचित गं्रथ। समय ई 1580। Ramapurana-Name of a treatise
[[श्रेणी: शब्दकोष]] परमावगाढरूचि दर्शनार्थ :A type of Aryas-noble persons.अनृद्वि प्राप्त आर्य का एक भेद । परमावधि या केवलज्ञान दर्षन से प्रकाशित जीवादि पदार्थ विषयक प्रकाश से जिनकी आत्मा विषुद्व है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] साधन – Saadhana. Means, resource. कार्य आदि के सम्पादन मं नित्तिभूत क्रिया, हेतु, उपाय आदि साधन कहलाते है। मरण समय आहार व मन वचन काय के व्यापार का त्याग करके आत्म शुद्धि करना साधन है।
ऋषि Name of the first Tirthankara (Jaina-Lord) Rishabhadev. ब्रह्मर्षि देवर्षि परमर्षि।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
त्रिलोकमंडन Name of an elephant. एक हाथी, रावण ने इसको मदमस्त अवस्था में पकडकर त्रिलोकमंडन नाम रखा था। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] साता – Saataa. Pleasure, bliss, merriment. सुख अर्थात् साता रुप आत्मा का परिणाम।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] यशोबाहु – आदिनाथ भगवान के 84 गणधरो में एक गणधर का नाम, आचार्य यषोभद्र के षिश्य, इनका अपरनाम आचार्य भद्रबाहु द्वितीय था। यं 8 अंगधारी थे तथा लोहाचार्य – 2 के गुरू थे। समय – वी नि 515 – 565 Yasobahu-Name of a chief disciple of lord Adinath, Also the name of the disciple…