प्लक्षणकूला!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्लक्षणकूला – सिखरी पर्वत के कूट तथा देवी का नाम Plaksanakula- Name of a summit and female deity of shikhari mountain
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्लक्षणकूला – सिखरी पर्वत के कूट तथा देवी का नाम Plaksanakula- Name of a summit and female deity of shikhari mountain
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लाघव – लघुता, हल्कापन षरीर का भारीपन नश्ट होना। तपष्चरण से षरीर में ये गुण प्राप्त होता है जिसे लघिमा ऋद्धि कहते है। Laghava-Lightness, minuteness
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संक्रांति – Sankraanti. Transition, Change. संचार, गमन, परिवर्तन ” इसके अर्थ, व्यंजन, योग संक्रांति तीन भेद हैं ” यह परिवर्तन प्रथम शुक्लध्यान पृथत्तववितर्क वीचार में होता है ” प्रत्येक मास में सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में संचार करना भी संक्रांति कहलाता है “
अरिहंत-जिन्होंने चार घातिया कर्मों का नाश कर दिया है, जिनमें छियालीस गुण होते हैं और अठारह दोष नहीं होते हैं, वे अरिहंत [[परमेष्ठी]] कहलाते हैं। अथवा The omniscient Lord. पंच परमेष्ठियों में प्रथम परमेष्ठी,जिन्होंने चार घातिया कर्मों का नाश कर दिया है। इनके अपरनाम-अरिहंत,अरुहंत,अरहंत हैं । [[श्रेणी:शब्दकोष]][[श्रेणी:पुत्र]]
पावापुर राजगीर और बोधगया के समीप पावापुरी भारत के बिहार प्रान्त के नालंदा जिले मे स्थित एक शहर है। यह जैन धर्म के मतावलंबियो के लिये एक अत्यंत पवित्र शहर है क्यूंकि माना जाता है कि भगवान महावीर को यहीं [[मोक्ष]] की प्राप्ति हुई थी। यहाँ के जलमंदिर की शोभा देखते ही बनती है। संपूर्ण…
== आर्यव्यक्त == भगवान महावीर के चतुर्थ गणधर का नाम आर्यव्यक्त था। वे आर्यव्यक्त भारद्वाज गौत्रीय ब्राह्मण थे और वह अपने 500 शिष्यों के साथ महावीर के शिष्य बने। दिगम्बर परम्परा के अनुसार मगध देश को सुप्रतिष्ठित राजा महावीर का उपदेश सुनकर दिगम्बर मुनि हो गये थे और वही भगवान महावीर के चतुर्थ गणधर बने।…
[[श्रेणीःशब्दकोष]] निधत्त और निकाचित-जो कर्म उदयावलीविषै प्राप्त करने को वा अन्य प्रकृतिरूप संक्रमण करनेकौ समर्थ न हूजे सो निधत्त कहिये” बहुरि जो कर्म उदयावली विषै प्राप्त करने को,वा अन्य प्रकृतिरूप संक्रमण करने कौ,वा उत्कर्षण करने कौ समर्थ न हूजै सो निकाचित कहिये”
बीसपंथ अाम्नाय में पंचामृत अभिषेक होता है”स्त्रियों द्वारा अभिषेक भी होता है”एवं फल फूल भी भगवान के पूजा अभिषेक में चढ़ाये जाते है”
अष्टान्हिका पर्व का असली नाम तो ‘नंदीश्वर पर्व’ ही है क्योंकि इन दिनों में नंदीश्वर द्वीप के चैत्यालयों की ही विशेषरूप में पूजन होती है। आठ दिन का पर्व होने से इसे अष्टान्हिका पर्व भी कहते हैं।