राग लोकेषणा!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] राग लोकेषणा – षुभ कर्मो से पुण्य की चाह। Ragalokesana- longing for virtuous life by auspicious karmas
[[श्रेणी:शब्दकोष]] राग लोकेषणा – षुभ कर्मो से पुण्य की चाह। Ragalokesana- longing for virtuous life by auspicious karmas
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रत्याहार- मन की प्रवृति का संकोच कर लेने पर मानसिक सन्तोश होता है उसे प्रत्याहार कहते है। pratyahara – mental satisfaction
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रोम – शरीर के समस्त छिद्रो मे स्थित सूक्ष्म बाल।आदारिक षरीर में रोमो का प्रमाण 80,000,00 करोड है। Roma-Small hair in the pores in the body
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सहस्रपर्वा – Sahasraparvaa. Name of a superpower possessed by Nami & Vinami Vidyadhars. धरणेन्द्र द्वारा नमि व विनमि विद्याधरो को प्राप्त विद्या ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] योषित – स्त्री, चक्रवर्ती के 14 रत्नो में एक रत्न। Yosita-A women one of the 14th Jewels of Chakravarti
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सहवा (कवि) – Sahavaa (Kavi). Name of a Marathi poet, the writer of Neminath Puran. नेमीनाथ पुराण के रचयिता (ई0 1717) एक मराठी कवि ।
द्रोणाचार्य The teacher of ‘Kauravas’ and ‘Pandavas’ and the father of ‘Ashvatthama’. कौरवों तथा पाण्डवों के गुरू तथा अश्वत्थामा के पिता। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्राधान्य पद- उपक्रम का एक भेद; बहुत से पदार्थो के होने पर भी किसी एक पदार्थ की बहुलता आदि द्वारा प्राप्त हुई प्रधानता से बोले जाने वाला नाम। जैसे- आग्रवन, निम्नवन इत्यदि। Pradhanyapada-A type of Upakrama( a type of persuasion) dominant name or thing
द्रव्य शक्ति Substantial capacity. मूल पदार्थ की शक्ति। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]