ष!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] ष – Sa. The 31st consonant of the Devanagari syllabary. देवनागरी वर्णमाला का इकतीसवाँ व्यंजन अक्षर, इसका उच्चारण स्थान मूर्धा है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] ष – Sa. The 31st consonant of the Devanagari syllabary. देवनागरी वर्णमाला का इकतीसवाँ व्यंजन अक्षर, इसका उच्चारण स्थान मूर्धा है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्लेष – Shlesa. A union, an association, A figure of speech containing two or more meanings of a word. संयोग, मिलन, वह अलंकार जिसमें दो या अनेक अर्थो वाले शब्द हो अथवा वे अनेक अर्थो में प्रयुक्त हुए हो “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संयमचरण चारित्र – Sanyamacarana Caritra. Restraintful pure conduct of saints. चारित्र के 4 भेदों में एक भेद, सकल चारित्र ” मुनियों के व्रत को सकल चारित्र कहते है “
ध्रुवग्राही One who is constantly involved in grasping of knowledge. जो सतत ज्ञान प्राप्त करने में प्रयत्नशील है।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रुतावतार – Shrutaavtaara. The basic tradition of omniscients & Shrutkevalis (having complete scriptural knowledge) after Lord Mahaaveera. भगवान महावीर के पश्चात् केवली व श्रुतकेवलियो की मूल परम्परा को ही श्रुतावतार नाम से कहा जाता हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सकल त्याग – Sakala Tyaaga. Renunciation of all 5 specified kind of sins. हिंसा आदि 5 पापों का सर्वदेश त्याग अर्थात् महाव्रत को पालन करना “
ध्याता A meditator. धर्म व शुक्लध्यानों को ध्याने वाले योगी को ध्याता कहते हैं अर्थात् ध्यान करने वाला मुनि। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रुतज्ञान – Shrutagyaana. The sensory cognitive knowledge, Scriptural knowledge. इन्द्रियों द्वारा विवक्षित पदार्थ को ग्रहण करके उससे सम्बन्धित अन्य पदार्थ को जानना ” अथवा मतिज्ञान से जाने हुए पदार्थ के अवलम्बन से तत्संबंधी दूसरे पदार्थ का जो ज्ञान होता है उसे श्रुतज्ञान कहते है ” इससे अक्षरात्मक व अनक्षरात्मक दो भेद है ” अक्षरात्मक…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सकलकीर्ति – Sakalakeerti. The disciple of saint Padmanandi-9 of Nandi group who was the writer of many great treatises. नंदिसंघ बलात्कार गण की ईडर गद्दी पर यह पद्मनंदि नं. 9 के शिष्य तथा भुवनकीर्ति के गुरु थे ” मूलाचार प्रदीप, प्रश्नोत्तर श्रावकाचार, तत्त्वार्थसार सुकुमाल-धन्यकुमार चरित्र आदि अनेक कृतियों के रचयिता ” समय ई. 1422-1442…