स्वकाल निर्जरा!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्वकाल निर्जरा – Srakaala Nirjaraa. Destruction of Karmas on their maturation.निर्जरा के दो भेदो मे एक भेद, सविपाक निर्जरा जो स्वकाल पक्च होकर चारो गति वाले जीवो की होती है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्वकाल निर्जरा – Srakaala Nirjaraa. Destruction of Karmas on their maturation.निर्जरा के दो भेदो मे एक भेद, सविपाक निर्जरा जो स्वकाल पक्च होकर चारो गति वाले जीवो की होती है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्याद् नास्ति – Syaad Naasti. The 2nd Bhang of Saptbhangi-exposition of nature of the substance in the aspect of negation.सप्तभंगी का दूसरा भंग-द्रव्य परचतुष्टय (द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव) की अपेक्षा से कथंचित् नास्ति रुप है।
जघन्य स्पर्धक Group of lowest Varganas (aggregate of Karmic molecules). जघन्य वर्गणाओं का समूह जघन्य स्पर्द्धक है ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्यात्कार – Syaatkaara. Words having different meanings.अनेकान्तार्थक वाचक शब्द।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विनयशुध्दि – Vinayashuddhi. Reverential purity. कीर्ति, आदर आदि लौकिक फलों की इच्छा छोडकर साधर्मी जन, गुरुजन, इत्यादिकोण का विनय करना विनय शुद्धि है “
जन्मकल्याणक-वंदना A reverential devotional act with prayer. कृतिकर्म ; सिद्ध भक्ति , चारित्र भक्ति व शान्ति भक्ति पढ़कर वंदना करना ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सहज दुःख – Sahaja Dukha. Natural trouble or pain. स्वाभाविक क्षुदाधि से उत्पन्न होने वाला दुःख ।
जघन्य अनुभाग A division of Anubhag Bandhi; the lowest (minimum) power (energy of karmas) of matter (related to wrong faithed one). अनुभाग बंध के १४ भेदों में एक भेद ; सातवें नरक में प्रथामोपशम सम्यक्त्व के सम्मुक हुआ मिथ्यादृष्टि जीव मिथ्यात्व गुणस्थान के अंत समय में जघन्य नीच गोत्र का अनुभाग बंध करता है ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
जम्भाई Yawn (to stop yawning is a physical mortification). उबासी,अयनादि कायक्लेश का एक भेद ; जम्भाई , छींक आदि को रोकना ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]