चतुर्णिकाय!
चतुर्णिकाय Four types of deities. भवनवासी, व्यन्तर , ज्योतिश्का , वैमानिक इन ४ निकायों के देव ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
चतुर्णिकाय Four types of deities. भवनवासी, व्यन्तर , ज्योतिश्का , वैमानिक इन ४ निकायों के देव ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विपर्यय ज्ञान – Viparyaya Jnana. Wrong knowledge or faith. एक पक्ष का निश्चय करने वाले विपरीत ज्ञान को विपर्यय कहते हैं ” जैसे – सीप में ‘यह चांदी है’ इस प्रकार का ज्ञान होना “
तथाकार Assent of the instructions of Lord Arihant. समाचार का एक भेदः जीवादि का परम्पराा से चला आया उपदेश और सूत्रादि – इनमें जो अर्हंत ने कहा वह सत्य है, ऐसा समझना। [[श्रेणी:शब्दकोष]]
त्रिलोकबिंदुसार Name of 14th Purva (parts of scriptural knowledge). चैदहवां पूर्व । इसमें तीन लोक का स्वरूप , एवं बीजगणित आदि का कथन है इसके साढे 12 करोड़ पद है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वीरचर्या –Vircarya. Strict and pure conduct of Jaina saints. निग्रन्थ मुनि की निर्दोष चर्या अथार्त कठोर आचरण “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सर्वार्थपुर – Sarvaarthapura. Name of a city in the north of Vijayardh mountain. विजयार्ध की उत्तर श्रेणी का एक नगर ।
एकान्त वृद्धि योगस्थान See – Ekå´tånuvro ddhi Yogasthåna. देखें – एकांतानुवृद्धि योगस्थान ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
देहत्रय Three kinds of body. औदारिक , तैजस , कार्मण ये तीन शरीर।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]