मुनि लिंग!
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मुनि लिंग–Muni Ling. A nude saint (having abandonded all worldly attachements). शास्त्र कथित जिनेन्द्र भगवान् जैसा मुनि रूप”
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मुनि लिंग–Muni Ling. A nude saint (having abandonded all worldly attachements). शास्त्र कथित जिनेन्द्र भगवान् जैसा मुनि रूप”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] बारह तप व्रत- शुक्ल पक्ष में विशेष वििध के साथ किया जाने वाला उपवास। ये 144 दिन में पूर्ध किया जाता है। इसकी विशेष वििध व्रत विधान संग्रह के पृ. 115 पर एवं किशनसिंह क्रियाकोश में देखें। Baraha tapa Vrata- A particular type of vow (fasting)
त्रिकृति A mountain situated in Bharat kshetra (region), name of a city of Vidyadhars. कृतिकर्म प्रदक्षिणा, नमसकारादि क्रियाओं को तीन बार करना अथवा एक दिन में जिन देव , गुरू और ऋषियों की तीन बार वंदना करना। (त्रिः कृत्वा)। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विभाव क्रिया – Vibhava Kriya . Contrary activity. जीव – पुद्ग्ल द्रव्य की स्वभाव से विपरीत क्रिया “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नाना-जीव एक-अजीव – Nana-Jiva Eka-Ajiva Pertaining to different types of living beings and one non-living beings अनेक जीव और एक अजीव ”
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == सत्यवादी : == विश्वसनीयो मातेव, भवति पूज्यो गुरुरिव लोकस्य। स्वजन इव सत्यवादी, पुरुष: सर्वस्य भवति प्रिय:।। —समणसुत्त : ९५ सत्यवादी पुरुष माता की तरह विश्वसनीय, जनता के लिए गुरु की तरह पूज्य और स्वजन की भाँति सबको प्रिय होता है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नागहस्ती – Nagahasti Name of great saint. आचार्य पुष्पदन्त एवं भूतबली के समकक्ष के एक मुनि ” व्यग्रहस्ती के शिष्य और जीत्दंड के गुरु (समय ई. 93-162) ”
[[श्रेणी : शब्दकोष]] मय – Mya. Father’s name of Mandodari, A king of Yadav dynasty. मंदोदरीकेपिताकानाम , यदु (यादव) वंशकाएकराजा “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == संघ : == संघो गुणसंघात:, संघश्च विमोचकश्चकर्मणाम्। दर्शनज्ञानचरित्राणि, संघातयन् भवेत् संघ:।। —समणसुत्त : २५ गुणों का समूह संघ है। संघ कर्मों का विमोचन करने वाला है। जो दर्शन, ज्ञान और चारित्र का संघात (रत्नत्रय की समन्विति) करता है, वह संघ है। कर्मरजजलौघविनिर्गतरस्य, श्रुतरत्नदीर्घनालस्य। पंचमहाव्रतस्थिरर्किणकस्स, गुणकेसरवत:।। श्रावकजन—मधुकर—परिवृतस्य, जिनसूर्यतेजोबुद्धस्य। संघपद्मस्य…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संघ – Sangha. The group of Jaina saints. रत्नत्रय से युक्त श्रमणों का समुदाय ” ऋषि, मुनि, यति और अनगार के समुदाय का नाम संघ है “