उपभोगपरिभोगानर्थक्य!
उपभोगपरिभोगानर्थक्य Accumulation of consumable and non consu-mable things beyond one’s needs. अनर्थदंड विरति का एक अतिचार उपभोग-परिभोग से अधिक परिग्रह करना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
उपभोगपरिभोगानर्थक्य Accumulation of consumable and non consu-mable things beyond one’s needs. अनर्थदंड विरति का एक अतिचार उपभोग-परिभोग से अधिक परिग्रह करना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शुद्धपर्यायार्थिक नय – Shuddhaparyaayaarthika Naya. A standpoint accepting the present form or mode of a substance. सूक्ष्म ऋजुसूत्र नय शुद्धि पर्यायार्थिक नय है, यह अर्थपर्याय को ग्रहण करता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सदगृहित्व क्रिया – Sadgrhitva Kriyaa. A type of auspicious activity, performing religious observances for spirituality. कत्र्रन्वयादि 7 क्रियाओ मे एक क्रिया। सज्जातिपरम स्थान को प्राप्त करने के पश्चात् सद्गृहस्थ रुप द्वितीय परम स्थान की प्राप्ति हेतु गृहस्थ का देव पूजा आदि छः कर्मों का करना, सत्य, शैच, शांति, दम आदि गुणांे से युक्त होना…
देशप्रत्यक्ष Partial direct acquirement of knowledge. एकदेश प्रत्यक्ष ज्ञान, जैसे अवधिज्ञान, मनः पर्ययज्ञान।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] विक्रिया ऋद्धिधारी – Vikriyaa Riddhidhaarii.: Saints possessing a supernatural power of transforming body form. विक्रिया ऋद्धि वाले मुनि या इस ऋद्धि वाले मुनियों का संघ जो तीर्थंकर की धर्मसभा में होता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सदवस्था रूप उपशम – Sadavasthaa Roopa Upshama. Karmas to be matured in future. वर्तमान काल को छोड़कर आगामी काल में उदय में आने वाले कर्मों का सत्ता में रहना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] विकल्प- Vikalpa.: Alternativ, option, uncertainity, ambiguity, doubt. पदार्थ का प्रतिभास या योग के परिवर्तन को विकल्प कहते है; मैं सुखी हूं या दुखी हूं इस प्रकार अन्तरंग में हर्ष विवाद रूप भाव “
घनमातृक धारा A mathematical sequence. १४ धाराओं में एक ;एक को आदि लेकर केवलज्ञान के आसन्न धनमूल पर्यन्त स्थान ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]