निश्चय ब्रह्मचर्य!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निश्चय ब्रह्मचर्य – Nishchaya Brahmacharya. Absolute engrossment into own soul. ब्रह्म शब्द का अर्थ निर्मल ज्ञान स्वरूप आत्मा है, मुनि अवस्था में उस आत्मा में लीन होना निश्चय –ब्रह्मचर्य है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निश्चय ब्रह्मचर्य – Nishchaya Brahmacharya. Absolute engrossment into own soul. ब्रह्म शब्द का अर्थ निर्मल ज्ञान स्वरूप आत्मा है, मुनि अवस्था में उस आत्मा में लीन होना निश्चय –ब्रह्मचर्य है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विपरिणामना – Viparinamana. Change or modification in state. सत् के द्वारा अवस्थान्तर की प्राप्ति होना ” यह प्रक्रति विपरिणामना, स्थितिविपरिणामना, अनुभाग- विपरिणामना, प्रदेशविपरिणामना ४ प्रकार की होती है “
उत्साह Earnestness, Enthusiasm, Name of the 15th Tirthankar (Jaina-Lord) of past era. उमंग इच्छा भूतकालीन 15 वें तीर्थंकर (उत्साहनाथ)। [[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निश्चयगुप्ती – Nishchayagupti. Absolute purety of soul (with mind, speech & body). मुनि अवस्था में सहज शुद्ध आत्मा-भावनारूप गुप्त स्थान में संसार के कारणभूत रागादि के भय से अपने को छिपाना अर्थात् मन वचन काय की रागादि प्रवृत्तियों से निवृत्त होना”
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == सुख : == जं च कामसुहं लोए जं च दिव्वं महासुहं। वीतरागसुहस्सेदे णंतभागं पि णग्घई।। —मूलाचार : १४४ लोक में काम—भोगों से मिलने वाला सुख और देवों को मिलने वाला महासुख उस सुख का अनंतवाँ हिस्सा भी नहीं, जो वीतराग को प्राप्त हुआ करता है।
इहलोकाशंसा प्रयोग Desire to become a king etc. related to this world. इस लोक से संबंधित आकांक्षा होना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भद्रबाहुचरित – Bhadrabahucarita. A book written by Acharya Ratnakirti. आचार्य रत्नकीर्ति (ई. १५१५) द्वारा रचित एक ग्रंथ “
उपासकाध्ययन A type of scriptural knowledge (Shrutgyan). द्रव्यश्रुतज्ञान का सातवाँ अंक जिसमें श्रावक धर्म का विशेष विवेचन किया गया है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मुखधन – Mukhdhan. Something principal. आदि स्थान में जो प्रमाण या संख्या है वह मुखधन कहलाती है”