12. एकत्वसप्तति अधिकार
एकत्वसप्तति अधिकार (श्री पद्मनंदिपंचविंशतिका ग्रंथ के आधार से) मंगलाचरण चिदानन्दैकसद्भावं परमात्मानमव्ययम्। प्रणमामि सदा शान्तं शान्तये सर्वकर्मणाम्।।१।। खादिपञ्चकनिर्मुत्तं कर्माष्टकविवर्जितम्। चिदात्मकं परंज्योतिर्वन्दे देवेन्द्रपूजितम्।।२।। अर्थ-चैतन्यस्वरूप अनुपम आनंद के सद्भाव वाले, अविनश्वर और सदा शांत ऐसे परमात्मा को मैं अपने समस्त कर्मों को शांत करने के लिए नमस्कार करता हूँ। जो परम ज्योति चिदानंद स्वरूप है, देवेन्द्रों से पूजित…