भगवान शांतिनाथ नाटिका – बारह भव राजा श्रीषेण-प्रथम भव मलयदेश का रत्नसंचयपुर नगर है जहाँ न्यायनीति में निपुण, सत्यनिष्ठ, धर्मनिष्ठ, पात्रदान एवं गुरुभक्ति में तत्पर सदाचारी एवं विवेकी राजा श्रीषेण राज्य करता था। उसकी लावण्यमयी एवं रूपवती दो रानियाँ थीं- सिंहनिन्दिता एवं अनिन्दिता। राजा सुखपूर्वक उन रानियों के साथ अपना समय व्यतीत कर रहे थे।…
एकीभाव स्तोत्र की महिमा (आचार्य श्री वादिराज वि. की ११वीं शताब्दी के महान विद्वान् थे। वादिराज यह उनकी पदवी थी, नाम नहीं। जगत्प्रसिद्ध वादियों में उनकी गणना होने से वे वादिराज के नाम से प्रसिद्ध हुए। उनकी गणना जैन साहित्य के प्रमुख आचार्यों में की जाती है।) उन वादिराज मुनिराज का चौलुक्य नरेश जयिंसह प्रथम…
भगवान पार्श्वनाथ का सचित्र जीवन प्रस्तुति-प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चंदनामती माताजी भगवान पार्श्वनाथ १०वें भव पूर्व-मरुभूति पोदनपुर में महाराजा अरविन्द अपनी राजसभा में स्वर्ण सिंहासन पर विराजमान थे। उनके विश्वभूति नामक मंत्री ने राज्य के कुशल समाचार बताकर महाराज से जिनदीक्षा की आज्ञा मांगते हुए अपने पुत्र कमठ और मरुभूति को महाराज के चरणों में…
अकालमृत्यु विजय पात्रानुक्रमणिका श्री विजय महाराजा पोदनपुर के नरेश विजयभद्र युवराज पुरोहित निमित्तज्ञानी सुमति मंत्री सुबुद्धि ’’ बुद्धिसागर ’’ मतिसागर ’’ सभासद ’’ प्रजा के लोग दो चंवरवाहक द्वारपाल सेठ-सेठपुत्र (पोदनपुर का राजदरबार लगा हुआ है। श्री विजय महाराज की दार्इं तरफ भद्रासन पर युवराज आसीन हैं। आजू-बाजू में मंत्रीगण बैठे हुए हैं और कुछ…
माधुरी से चंदनामती-नाटिका तर्ज – चाँद मेरे आ जा रे ……………….. सुनो हम कथा सुनाते हैं -२ …
मोक्षसप्तमी पर्व – नृत्य नाटिका (तर्ज-आए महावीर भगवान……….) प्रश्न-कैसा उत्सव आया आज, क्यों धूम मची मंदिर में। बतला दो मेरे भ्रात, क्यों धूम मची मंदिर में।।टेक.।। उत्तर-सुन ले मेरी बहना आज, क्यों धूम मची मंदिर में। है प्रभु पार्श्वनाथ निर्वाण, का उत्सव इस मंदिर में।।टेक.।। प्रश्न-निर्वाण कहाँ से पाया, कहाँ प्रभु ने ध्यान लगाया। क्या…
धन्य हुआ विपुलाचल पर्वत (वीरशासन जयंती पर्व) प्रस्तुति-आर्यिका चन्दनामती भूमिका (सूत्रधार द्वारा मंच पर मंचन) आज से २५७० वर्ष पूर्व की घटना है, जब बिहार प्रान्त के जृम्भक गांव में ऋजुकूलानदी के तट पर एक महान पुण्य अवसर आया था । वैशाख शुक्ला दशमी का शुभ दिन, अहा हा! भगवान महावीर को १२ वर्ष की…
भगवान पार्श्वनाथ दशभव की काव्यकथा प्रस्तुति-प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चन्दनामती प्रिय पाठकों! जैनधर्म के २३वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ के संघर्षशील जीवन से आप सभी को परिचित कराने हेतु यहाँ पर उनके दश भवों का कथानक काव्य में प्रस्तुत किया जा रहा है। मरुभूति की पर्याय से उन्होंने किस प्रकार अपने भाई कमठ के द्वारा किये गये…