विष निवारक विषापहार स्तोत्र की महिमा!
विष निवारक विषापहार स्तोत्र की महिमा (कवि धनञ्जय के गृहनिवास का दृश्य है। प्रात:काल का समय है। वे तैयार होकर जिनमंदिर जाने के लिए उद्यत हैं)— धनञ्जय कवि—अरी ! सुनती हो ! पत्नी—जी, अभी आयी। (कमरे में आकर) कहिए ! क्या कार्य है ? धनञ्जय—कार्य कुछ नहीं, बस इतना बताने के लिए बुलाया कि…