06- उत्तम संयम धर्म के मुक्तक
उत्तम संयम धर्म के मुक्तक व्रत धारण समिति का पालन, क्रोधादि कषाय विनिग्रह है। मन वच तन की चेष्टा त्यागे, इन्द्रिय जप संयम पाँच कहे।। अथवा त्रसथावर षट्कायों की, रक्षा पंचेन्द्रिय मन जय। द्वादशविध संयम को पालें, वे मुनिवर संतत व्रतगुणमय।।१।। इस जीव लोक में हे स्वामिन् ! कैसे आचरण करें मुनिगण ? कैसे ठहरें,…