दशधर्म…. index
दशधर्म….
उत्तम क्षमा धर्म उत्तम—खम मद्दउ अज्जउ सच्चउ, पुणु सउच्च संजमु सुतउ। चाउ वि आिंकचणु भव—भय—वंचणु बंभचेरू धम्मु जि अखउ।। उत्तम—खम तिल्लोयहँ सारी, उत्तम—खम जम्मोदहितारी। उत्तम—खम रयण—त्तय—धारी, उत्तम—खाम दुग्गइ—दुह—हारी।। उत्तम—खम गुण—गण—सहयारी, उत्तम खम मुणििंवद—पियारी। उत्तम—खम बुहयण—चिन्तामणि, उत्तम—खम संपज्जइ थिर—मणि।। उत्तम—खम महणिज्ज सयलजणि उत्तम—खम मिच्छत्त—तमो—मणि। जिंह असमत्थहं दोसु खमिज्जइ जिंह असमत्थहंण उ रूसिज्जइ।। जिंह आकोसण वयण सहिज्जइ,जहिं…
दशधर्म…. सिद्धिप्रासादनि:श्रेणीपंक्तिवत् भव्यदेहिनाम्। दशलक्षणधर्मोऽयं नित्यं चित्तं पुनातु न:।।१।। भव्य जीवों के सिद्धिमहल पर चढ़ने के लिए सीढ़ियों की पंक्ति के समान यह दशलक्षणमय धर्म नित्य ही हम लोगों के चित्त को पवित्र करे। इन दशधर्मों के उपासना के पर्व को दशलक्षण पर्व कहते हैं। चूूँकि इसमें उपवास आदि के द्वारा आत्मा को पवित्र बनाया जाता…
( १३५) उत्तरायण व्रतकथा. व्रतविधि – माघ शु. १४ दिवशीं या व्रतिकांनी एकमुक्ति करात्री. १५ दिवशीं प्रातःकाळीं सुखोष्ण जलानें अभ्यंगस्नान करून अंगावर दृढधौत वस्त्र धारण करावीत. सर्व पूजाद्रव्ये हातीं घेऊन जिनालयास जावें. मंदिरास तीन प्रदक्षिणा देऊन ईर्यापथशुद्धिपूर्वक जिनेंद्रास भक्तीनें साष्टांग प्रणिपात करावा. नंदादीप लावावा. पीठावर पद्मप्रभ तीर्थकर प्रतिमा कुसुमवर यक्ष व मनोवेगा यक्षीसह स्थापून त्यांचा…
( १३४) कीर्तधर व्रतकथा. व्रतविधि-वैशाख शु. ७ दिनीं या व्रत धारकांनी एकमुक्ति करावी. आणि ८ दिवशीं प्रातःकाळी शुचिजलानें अभ्यंगस्नान करून अंगावर दृढघौत वस्ने धारण करावींत. सर्व पूजाद्रव्ये हाती घेऊन जिनालयास जाने. मंदिरास तीन प्रदक्षिणा देऊन ईर्यापथशुद्धिपूर्वक जिनेंद्रास भक्तीनें साष्टांग नमन करावे. पीठावर सुपार्श्वनाथ तीर्थकर प्रतिमा नंदिविजय यक्ष काली यक्षीसह स्थापून तिला पंचामृतांनी अभिषेक करावा. अष्टद्रव्यांनी…
( १३३) श्रुतावतार व्रतकथा. व्रतविधि – ज्येष्ठ शु. १ दिवशीं या व्रत ग्राहकांनीं प्रातःकाळीं शुद्ध जलाने अभ्यंगस्नान करून अंगावर पवित्र दृढ धौतवस्ने धारण करावींत सर्व पूजाद्रव्ये हातीं घेऊन जिनालयास जावें. मंदिरास तीन प्रदक्षिणा घालून ईयापथशुद्धिपूर्वक जिनेंद्रास सक्तीनें साष्टांग नमस्कार करावा. मंडप श्रृंगार करावा. पीठावर पंचपरमेष्ठी प्रतिमा व श्रुतस्कंधयंत्र, यक्ष, यक्षो यांना स्थापून त्यांचा पंचामृतांनीं अभिषेक…
महापद्म सरोवर महाहिमवन् पर्वत पर महापद्म नाम का सरोवर है। जो १००० योजन चौड़ा, २००० योजन लम्बा है २० योजन गहरा है। इसके मध्य में जो कमल है वह पद्म सरोवर के कमल से दूना है अर्थात् ८ कोस का है। इस कमल के ऊपर स्थित प्रासाद में बहुत परिवार से युक्त तथा श्री देवी…
गंगा कुण्ड का वर्णन हिमवान् पर्वत के नीचे पृथ्वी पर साठ योजन विस्तृत, समवृत्त, दस योजन गहरा, मणिमय सीढ़ियों से युक्त एक कुण्ड है। वह कुण्ड चार तोरण और वेदिका से युक्त है। उसके बहुमध्य भाग में रत्नों से विचित्र, चार तोरण एवं वेदिकाओं से शोभायमान एक द्वीप है। वह द्वीप जल के मध्य में…
गंगा नदी का वर्णन पद्म सरोवर की पूर्व दिशा से गंगा एवं पश्चिम दिशा से सिंधु नदी निकलती है। उद्गम स्थान में गंगा नदी का विस्तार छह योजन एक कोस है इस नदी के निर्गमन स्थान में नौ योजन डेढ़ कोस ऊँचा दिव्य तोरण है। इस तोरण द्वार का चामर, घंटा, िंककणी और सैकड़ों वंदनमालाओं…