भजन
भजन…. रचयित्री-प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चंदनामती तर्ज—जिन्दगी प्यार का गीत है………. गौतम गणधर की वाणी सुनो, ज्ञान अमृत के स्वादी बनो। वीर प्रभु दिव्यध्वनि को सुनो, अपने आतम में उसको गुनो।।टेक.।। आज हम सबका यह पुण्य है, पाया धरती पे नर जन्म है। इसमें जिन भक्ति ही मुख्य है, गुरु की वाणी से शिव सौख्य है। वीर…