पदज्ञान!
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पदज्ञान: Knowledge to be perceived through syllabary, Grammatical knowledge. अक्षरों से होने वाले ज्ञान को उपचार से पदज्ञान कहते है। व्याकरण ज्ञान, इसे पद विद्या भी कहते है।
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पदज्ञान: Knowledge to be perceived through syllabary, Grammatical knowledge. अक्षरों से होने वाले ज्ञान को उपचार से पदज्ञान कहते है। व्याकरण ज्ञान, इसे पद विद्या भी कहते है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वेत्रासन –Vetrasana Shape of lower world (like drum with narrow middle part) मुढे के समान अधोलोक का आकार “
घोटमानयोगस्थान Unstable dispositions. परनाम योगस्थान ; जो आत्मा के प्रदेश एक से न रहें , घटते -बढ़ते रहें ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पतझड :Autumn(time of decay) cause for the worldly disattachment of Lord Suparshvanath & Shreyansnath. भगवान सुपाश्र्वनाथ एवं श्रेयांसनाथ के वैराग्य का कारणं।
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मूलवर्ण–Mula Varna. The basic 64 syllables. मूल64 अक्षर जो अनादि से जिनागम में प्रसिद्ध है”
गुणभद्र भट्टारक The writer of religious treatise (Dhanyakumar charit etc). पूजा कल्प,धन्यकुमार चरित आदि के कर्ता ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी: शब्दकोष]] भोजवंश:Name of a dynasty. वृषभदेव भगवान के समय का एक वंश; इस देश के राजा न्यायपूर्वक प्रजा का पालन करने से भोज कहलाते थे “
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पज्जुण्णचरिउ: Name of a book written by Kavisingh. ई0 श0 12 के अन्तपाद मे कवि सिंह क्षरा प्रधुम्न चरित्र विषयक रचित एक ग्रंथ ।