तैजस शरीर!
तैजस शरीर Luminous body. 5 प्रकार के शरीरों में एक स्थूल शरीर में दीप्ति या तेज में कारणभूत जो सूक्षम शरीर होता है उसे तैजस शरीर कहते है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
तैजस शरीर Luminous body. 5 प्रकार के शरीरों में एक स्थूल शरीर में दीप्ति या तेज में कारणभूत जो सूक्षम शरीर होता है उसे तैजस शरीर कहते है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == महाव्रत : == अहिंसा सत्यं चास्तेनवंâ च, ततश्चाब्रह्मापरिग्रहं च। प्रतिपद्य पंचमहाव्रतानि, चरति धर्मं जिनदेशितं विद:।। —समणसुत्त : ३६४ अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह, ये पांच महाव्रत ग्रहण कर श्रमण जिनदेशना के अनुसार धर्म का आचरण करे।
तृतीय मूल The square root of the 2nd square root. गणित संबंधी द्वितीय मूल के मूल को तृतीय मूल कहते हैं । [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] बालिश्त – Balista. An area unit क्षेत्र का प्रमाण विशेष ” अपरनाम वितस्ति “
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वसमय प्रवृत्ति – Svasamaya Pravrtti. Engrossment into self. स्वरुप मे चरण करना चारित्र है, स्वसमय मे प्रवृत्ति करना इसका अर्थ है। देखे-स्वसमय।
तीर्थंकर जन्मभूमि The 16 birth-places of 24 Tirthankars (Jaina-Lords)-(1) Ayodhya (U.P.) of Rishabhdev, Ajitnath, Abhinandannath, Sumatinath & Anantnath, (2) Shravasti (U.P.) of Sambhavanath, (3) Kaushambi (U.P.) of Padmaprabhunath, (4) Varanasi (U.P.) of Suparshvanath, Parshvanath (5) Chandrapuri (Varanasi) of Chandraprabhunath (6) Kakandi (U.P.) of Pushpadantnath (7) Bhadrikapuri (Bihar) of Sheetalnath (8) Sinhpuri (Varanasi) of Shreyansnath (9)…
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == जिनवाणी : == जिनवचनमौषधमिदं, विषयसुखविरेचनम् अमृतभूतम्। जरामरणव्याधिहरणं, क्षयकरणं सर्वदु:खानाम्।। —समणसुत्त : १८ जिनवाणी वह अमृत समान औषधि है, जो विषय—सुखों का विरेचन करती है, जरा व मरण की व्याधि को दूर करती है और सभी दु:खों का क्षय करती है। लब्धमलब्धपूव, जिनवचन—सुभाषितं अमृतभूतम्। गृहीत: सुगतिमार्गो, नाहं मरणाद् बिभेमि।।…
[[श्रेणी: शब्दकोष]] स्वर्णनाभ – Svarnanaabha. Name of the 17th city in the south of Vijayardha mountain, name of a king of Arishtapur. विजयार्ध की दक्षिण श्रेणी का 17वां नगर, अस्ष्टिपुर नगर का राजा। कृष्ण की रानी पद्यावती का पिता।
तिल-तुष- भाव An attitude of non-attachment. भेदज्ञान होने पर अनासक्ति या निर्ममत्व भाव (दिगम्बर साधु तिल – तुष मात्र भी परिग्रह नहीं रखते)। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संध्या – Sandhyaa. Evening, Joining period of night-morning, morning-afternoon & evening-night (i.e. dawn, mid-joining & dusk). शाम ” प्रातः,मध्यान्ह,सायंकाल के संधिकालों को संध्या कहते हैं ” इन संधिकालों में वंदना एवं सामायिक की जाती है “