उच्छ्रेणी!
उच्छ्रेणी Vertical line (of development). विकास वृद्धि रेखा।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
उच्छ्रेणी Vertical line (of development). विकास वृद्धि रेखा।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वाचिक विनय – Vaachika Vinaya.: To pay reverence to saints by eulogical speech. उपचार विनय का एक भेद; उपशांत ,सावद्य क्रियारहित, अभिमान रहित वचन गुरुओं –साधुओं के सामने बोलना “
उच्चस्थान Requesting for occupying high seat to a saint for taking food (one of the Navdha Bhakti). नवधा भक्ति में द्वितीय भक्ति, इसमें पात्र को पड़गाहना के पश्चात् उच्चस्थान पर बैठने के लिये निवेदन किया जाता है। [[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] मासैकवासिता – Masaikavasita. Monthly seasonal staying & moving of Jaina saints. स्थिति कल्प का ९ वां भेद; छहों ऋतुओं में से एकेक ऋतु में एक मांस तक एक स्थान में मुनि निवास करते हैं, और एक मास विहार करते हैं ” उसे मासैकवासिता कहते हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंचसमिति – Panchasamiti. Five kinds of saint conduct related to carefulness. ईर्या, भाषा, एषणा, आदाननिक्षेपण और प्रतिष्ठापन यें पांच समिति संयम शुद्धि में कारण कही गयीं हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वागर्थसंग्रह – Vaagarthasangraha.: Name of a treatise composed by the poet Parmeshthi containing the life sketch of 63 great personalities. कवि परमेष्ठी कृत एक संस्कृत ग्रन्थ ” इसमें 63 शलाका पुरुषों का वर्णन है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंचविंशति – Panchvinshti. A number – twenty five (special types of restraints of Upadhyaya). 25; उपाध्याय के विशेष गुण अर्थात् 11 अंग व 14 पूर्व का ज्ञान “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == श्रमण धर्म : == आहारमिच्छेद् मितमेषणीयं, सखायमिच्छेद् निपुणार्थबुद्धिम्। निकेतमिच्छेद् विवेकयोग्यं, समाधिकाम: श्रमणस्तपस्वी।। —समणसुत्त : २९१ समाधि का अभिलाषी तपस्वी श्रमण परिमित तथा एषणीय आहार की ही इच्छा करे, तत्त्वार्थ में निपुण (प्राज्ञ) साथी को ही चाहे और विवेकयुक्त अर्थात् विविक्त (एकान्त) स्थान में ही निवास करे। दानं पूजा…