जय परायज :!
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == जय परायज : == स वोरिए परायिणति, अवीरिए परायिज्जति। —भगवती सूत्र : १-८ शक्तिशाली (वीर्यवान्) जीतता है और शक्तिहीन (निर्वीर्य) पराजित हो जाता है।
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == जय परायज : == स वोरिए परायिणति, अवीरिए परायिज्जति। —भगवती सूत्र : १-८ शक्तिशाली (वीर्यवान्) जीतता है और शक्तिहीन (निर्वीर्य) पराजित हो जाता है।
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वभाव पुद््गल – Svabhaava Pudgala. A pure particle of a Pudgal. पुद्गल द्रव्य के दो भेदो मे एक भेद। पुद्गल का एक शुद्व परमाणु स्वभाव पुद्गल और स्कंथ विभाव पुद्गल कहलाते है।
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पटदेवी : The chief female deities of Indras. भवनवासी इन्द्रो की देवियाॅं, प्रधान देवी, पटरानी, महिषी ।
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मुंड– Mund. Controlling of sensual organs for following non–violence. 5 इन्द्रियों को वश में करना, 5 इन्द्रिय, वचन, हस्त, पाद, मन और शरीर बिना प्रयोजन काम में ना लेना, यह मुंडन कहलाता है ” इससेअहिंसा का पालन होता हैं “
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मोहज भाव–Mohaj Bhav. Disposition caused by delusion. मोह से उत्पन्न होने वाले औदयिक भाव”
[[श्रेणी : शब्दकोष]] व्यंजन –Vyainjana. Consonant (33), Delicious food items, symbolic marks on the body or any matter. अव्यक्त शब्ददी (आधी मात्रा वाले अक्षर) के समूह या वचन को व्यंजन कहते हैं, क् ख् ग् आदि अक्षर ” इन व्यंजन को स्वर के साथ संयुक्त करने पर ही इनका उच्चारण होता हैं ” जैसे –…
आधान क्रिया An auspicious worshipping to be observed before pregnancy. ऋतुमती स्त्री के चतुर्थ स्नान के पश्चात् गर्भाधान के पहले, अर्हन्त देव की पूजा के द्वारा मंत्र पूर्वक जो संस्कार किया जाता है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्वपर तत्त्व – Svapara Tattva. Right element pertaining to the path of salvation.भेदोभेदात्मक अर्थात् निश्चय व्यवहार मोक्षमार्ग। आत्मनिष्ठता स्वतत्व (या निष्चय मोक्षमार्ग) तथा पर्याय प्रधान व्यवहार नय से सम्यग्दर्शन-ज्ञान-चारित्र व्यवहार मोक्षमार्ग अर्थात् परतत्त्व है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विराग विचय – Viraga Vichya. Wishing for the renouncement from the world with the contemplation about the nature of world, body & enjoyments. संसार, शरीर एवं भोगों के स्वरूप का चिंतन करते हुए वैराग्य की भावना करना विराग विचय हैं “
जयवर्मा The son of the king Shrishen of Simhpurnagar of Gandhila (a country). गंधीला देश में सिंहपुरनर के राजा श्रीषेण का पुत्र ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]