निर्निमेष दृष्टि!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निर्निमेष दृष्टि – Nirnimesha Drishti. Unwinking eyes; an excellence of Loed Arihant. पलक झपकनेका अभाव; अर्हत भगवान के केवलज्ञान के 11 अतिशियोंमें एक “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निर्निमेष दृष्टि – Nirnimesha Drishti. Unwinking eyes; an excellence of Loed Arihant. पलक झपकनेका अभाव; अर्हत भगवान के केवलज्ञान के 11 अतिशियोंमें एक “
उद्भाव Origination, Production, Appearance. उत्पत्ति सन्तति उत्पादन।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] बाह्य कारण – Bahya Karana. External cause. कार्य सिध्द में निमित्तभुत बाहरी कारण जिसके होने पर कार्य की सिध्द अवश्यंभावी नहीं है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भावाभिनन्दी – Bhavabhinadi. The welcomer of the worldly existence. सांसारिक अस्तित्व का अभिनन्दन करने वाला “
उत्पादक Producer, Manufacturer, Grower. बनाने वाला या उत्पन्न करने वाला।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निरुपक्रम आयुष्क – Nirupakrama Aayushka. Beings having non reducible age or to have timely death (according to Jaina philosophy). अन्पवर्तितआयुष्क देव, नारकी, भोगभूमिज तिर्यच व मनुष्य जिनका अकालमरण नहीं होता “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == साहसी : == जाव य ण देन्ति हिययं पुरिसा कज्जाइं ताव विहणंति। अह दिण्णं तिय हिययं गुरुं पि कज्जं परिसमत्तं।। —कुवलयमाला जब तक साहसी पुरुष कार्यों की तरफ अपना ध्यान नहीं देते, तभी तक कार्य पूरे नहीं होते हैं। किन्तु उनके द्वारा कार्यों के प्रति हृदय लगाने से…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निराकार स्थापना निक्षेप –Nirakaara sthaapanaa Nikshepa. Unmaching installation of two different images. किसी वास्तु में किसी की स्थापना जिसमें उसका आकर वैसा न हो “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == गुणी : == लच्छीए विणा रयणायरस्स गम्भीरिमा तहज्जेव। सा लच्छी तस्स विणा कस्स न गेहे परिब्भई।। —गाहारयणकोष : ४५ लक्ष्मी के बिना भी रत्नाकर की गंभीरता तो वैसी ही बनी हुई है, किन्तु सागर को छोड़कर चली गई लक्ष्मी को कहाँ—कहाँ नहीं भटकना पड़ता ? ठाणेसु गुणा पथड़ा ठाणाणि,…