शौच!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शौच – Shaucha. Purification, greedlessness, Satisfaction. पवित्रता, लोभ का अभाव, संतोष का भाव “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शौच – Shaucha. Purification, greedlessness, Satisfaction. पवित्रता, लोभ का अभाव, संतोष का भाव “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रशस्त गति- उत्तमगति -मनुश्य गति एवं देवगति। Prasasata Gati- Meritorious destinities-Human and celestial destinities (gatis)
चंद्रवर्मा A king of Yadu dynasty. यदुवंश का एक राजा, कृष्ण का एक पुत्र ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रवाल- मूँगा, मानुशोत्तर पर्वत पर सिथत एक कूट। Pravala- Coral, Name of a summit situated at Manushottar mountain
गरूड़वाहिनी A type of divine power to fly over the sky. एक विद्या, इससे आकाश में गमन होता है ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रत्यक्ष हेतु- pratyaksa hetu Direct cause related to origination of knowledge उादिश्ट हेतु का एक भेद; अज्ञानादि का विनाषा, ज्ञज्ञन की उत्पति
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विवक्षा – Vivaksha. Desire of orator or speaker. वक्ता की इच्छा को विवक्षा कहते हैं ” प्रशनकर्ता के प्रशन से ही प्रतिपादन करने वाले की विवक्षा होती हैं “
आठर्वी पृथ्वी The 8th earth (Siddhashila). सिद्धशिला ईषत्प्राग्भार-45 लाख योजन विस्तृत पृथ्वी।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
उदंबरफल Figs, Fruits of ficus genus class. ऊपर कठूमर पाकर बड़ पीपल आदि वृक्षों के फल ये त्रस जीवों के उत्पत्ति स्थान होने से अभक्ष्य हैं।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == शल्य : == तत् शस्त्रं च विषं च, दुष्प्रयुक्तो वा करोति वैताल:। यन्त्रं वा दुष्प्रयुक्तं, सर्पो वा प्रमादिन: क्रुद्ध:।। यत् करोति—भावशल्य—मनुद्धृतमुत्तमार्थ—काले। दुर्लभबोधिकत्वम् , अनन्तसंसारिकत्वं च।। —समणसुत्त : ५७७-५७८ दुष्प्रयुक्त शस्त्र, विष, भूत तथा दुष्प्रयुक्त यन्त्र तथा क्रुद्ध सर्प आदि प्रमादी का उतना अनिष्ट नहीं करते, जितना अनिष्ट समाधिकाल…