षट्खंड!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] षट्खंड – Satkhanda. Six parts of Bharat Kshetra (region). जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र आदि के एक आर्य व 5 म्लेच्छ खंड ” इन्ही षट् खंडो को चक्रवर्ती जीतता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] षट्खंड – Satkhanda. Six parts of Bharat Kshetra (region). जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र आदि के एक आर्य व 5 म्लेच्छ खंड ” इन्ही षट् खंडो को चक्रवर्ती जीतता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] बंधन नामकर्म प्रकृति-शरीर नाम कर्म के उदय से प्राप्त हुए पुद्गलों का अन्योन्य प्रदेश संश्लेष जिसके निमित्त से होता है।इसके अभाव से शरीर लकडि़यों के ढेर जैसा हो जाता है। Bandhana Namakarna Prakrti- physique making karmic nature related to bonding
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वीर्य प्रवाद –ViryaPravada A part of Shrutgyan (scriptural knowledge) containing the description of the power of soul. दृष्टिवाद – १२वे अंग का तीसरा पूर्व, जिसमे आत्मा – अनात्मा की शक्ति का कथन हैं ” इसके ७० लाख माध्यम पद हैं “
श्वेताम्बर – Shvetaambara. A Jaina sect originated from the division of Moolsangh (Digambar). दिगम्बर मान्यतानुसार भगवान महावीर के पश्चात् मूलसंघ दिगम्बर ही था ” बाद में (आज से लगभग दो हजार वर्ष पूर्व) उत्तर भारत में दुर्भिक्ष अकाल पड़ने के कारण कुछ शिथिलाचारी साधुओ ने स्वेताम्बर संघ की स्थापना की “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विशेषालोचन – Visheshalochana. Acceptance of own faults before an Achrya by a mortifier (Kshapak). सल्लेखना के समय क्षपक के द्वारा आचार्य के सामने की जाने वाली विशेष आलोचना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रोता – Shrotaa. Listeners. धर्म को सुनने वाले पुरुष ” गुण-दोषों की अपेक्षा इनके 14 भेद हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भूमिकुंडल – Bhumikundala. A city in the south of Vigjavardha mountain. विजयार्ध की दक्षिण श्रेणी का एक नगर “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रुतसागरी – Shrutasaagaree. Name of a commentary book on Tattvarthvritti written by Bhattarak Shrutsagar. श्रुतसागर भट्टारक कृत तत्वार्थवृत्ति की टीका का नाम
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भयसंभूति – Bhayasambhuti. A type of super power possessed by king Ravan and Dashrath. राजा रावण एंव दशरथ को प्राप्त एक विधा “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रीसंप्रदाय – Shreesampradaaya. The first sect of Vaishnava philosophy of all 4. वैष्णव दर्शन के 4 सम्प्रदायों में प्रथम संप्रदाय ” इस संप्रदाय में विशिष्टाद्वैतवादी है जो रामानंदी भी कहलाते है “