जघन्य निर्वृत्तपर्याप्त!
जघन्य निर्वृत्तपर्याप्त Lowest period of life of living beings. जघन्य आयुबंध की जघन्य पर्याप्त निवृत्ति संज्ञा है अर्थात् भव के प्रथम समय से जघन्य आयुब्गंध के अंतिम समय तक जघन्य निवृत्ति होती है ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
जघन्य निर्वृत्तपर्याप्त Lowest period of life of living beings. जघन्य आयुबंध की जघन्य पर्याप्त निवृत्ति संज्ञा है अर्थात् भव के प्रथम समय से जघन्य आयुब्गंध के अंतिम समय तक जघन्य निवृत्ति होती है ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
ठ The twelfth consonant of the Devanagari syllabary. देवनागरी लिपि का बारहवाँ व्यंजन अक्षर, इसका उच्चारण स्थान मूर्घा है। [[श्रेणी:शब्दकोष]]
तदाभास To have same impression. उस जैसा अनुभव होना (आवश्यक नहीं कि वह सत्य हो) । [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
जम्बूद्दीवपण्णत्ति Name of a book written by Acharya Padmanandi. आचार्य पद्मनंदि नं .४ (ई. ९७७-१०४३) द्वारा रचित ग्रन्थ ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सर्षप फल – Sarshapa Phala. Mustard seeds, a unit of weighing. सरसों, तोल का एक प्रमाण ।
जयंत Name of an ‘Anuttar’ heaven, Name of a summit of Ruchak mountain, A door of Jambudvip (an island), Cities in the north & south of Vijayardh mountain, Name of a planet and a demigod. एक अनुत्तर स्वर्ग का नाम , रूचक पर्वत का एक कूट , जम्बूद्वीप की जगती का द्वार , विजयार्ध की…
जम्बूद्दीव संघायणी Name of a book written by Shvetambaracharya Haribhadrasuri. श्र्वेताम्बर आचार्य श्री हरिभद्रसुरि (ई. ४८०-५२८) कृत एक ग्रन्थ ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सर्वायुध – Sarvaayudhaa. See- Sarvaatmabhuuta. देखे – सर्वात्मभूत ।
तत्ववती धारणा Auspicious conceptual meditation with contem-plation. पिंडस्थ ध्यान की एक धारणा जिसमें अपनी आत्मा को अतिशय युक्त, सिंहासन पर आरूढ,कल्याण की महिमा सहित देव, दानव धरणेन्द्रादि से पूजित है, ऐसा चिन्तन करना। तत्पश्चात अपने शरीर में प्राप्त आठों कर्मो से रहित निर्मनल पुरूषाकार आत्मा का चिंतवन करना। [[श्रेणी:शब्दकोष]]
छेदप्रायश्र्चित A type of repentance. प्रायश्र्चित का एक भेद ; दिवस , पक्ष , महीना आदि की प्रव्रज्या का छेद करना ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]