संप्रति!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संप्रति – Sanprati. Present time, Another name of king Chandragupt-II. वर्तमान, मगधराज अशोक का पौत्र, अपरनाम चन्द्रगुप्त द्वितीय ” समय – ई.पू. 220-211 “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संप्रति – Sanprati. Present time, Another name of king Chandragupt-II. वर्तमान, मगधराज अशोक का पौत्र, अपरनाम चन्द्रगुप्त द्वितीय ” समय – ई.पू. 220-211 “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शोक (कर्मप्रकृति) – Shoka(Karmaprakriti). Karmic nature causing griefor sorrow. नोकषाय के 9 भेड़ों में एक भेद; जिसके उदय से शोक भाव होता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रव्रज्या- सप्त परम स्थान में से एक; सम्पूर्ण परिग्रह त्याग कर Þजिनदीक्षाß ग्रहण करना। Pravrajya- Renunciation of worldly affair for Jaina initiation
चंवर An auspicious article which is to be kept near Tirthankars’ (Jaina-Lords’) idol. प्रतिमा के पास में विद्यमान रहने वाले अष्ट मंगल द्रव्यों में एक ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रत्याख्यानावरण कर्मप्रकृति- pratyakhyanavarana karma prakrti Karmic nature obscuring positive relation चारित्र मोहनीय कर्म का एक भेद। संयम को रोकने वाली कशाय, जिसके उदय से संयम नामवाली परिपूर्ण विरति को यह जीव करने में समर्भ नही होता है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रत्यक्षज्ञान- pratyaksajnana Direction knowledge gained by the soul itself without any external help. इनिद्रय और मन की सहायता के बिना जो ज्ञान पदार्थ को स्पश्ट जाने, इसके दो भेदहैं- देष प्रत्यक्ष (अवधि एवं मन:पर्ययज्ञान) एवं सकल प्रत्यक्ष (केवलज्ञान)
उत्तर हेतु Secondary variable hypothesis. पूर्व में जो हो गया है उसकी वर्तमान से सिद्धि।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == संबंध : == पंथे पहियजणाणं जह संजोओ हवेइ खणमित्तं। बंधुजणाणं च तहा संजोओ अद्धुओ होई।। —कार्तिकेयानुप्रेक्षा : ८ जैसे मार्ग में पथिकजनों का संयोग क्षणमात्र होता है, वैसे ही बंधुजनों का संयोग अस्थिर है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रतिहरण- pratiharna Providing remedy for the fault. मिथ्यात्व रागादि दोशों का निवारण करना।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाषा – Bhasha. Language,speech. साधारण बोलचाल को भाषा कहते हैं ” यह अक्षरी, अनक्षरी के भेद से दो प्रकार की होती है “