चैत्रोद्यान!
चैत्रोद्यान Name of a forest, initiation place of Lord Naminath. छात्रवन ; नमिनाथ भगवान के दीक्षा वन का नाम ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
चैत्रोद्यान Name of a forest, initiation place of Lord Naminath. छात्रवन ; नमिनाथ भगवान के दीक्षा वन का नाम ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्पर्षनानुगम – Sparssanaanugama. A type of Anuyogdwar (disquisition door).अनुयोगद्वार का एक भेद।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संयमासंयम – sanyamaasanyama. A type of minor vow related to restraintful & nonrestraintful violence. It is made by peacock feathers which are turhed down naturally while davcing of peacock. अणुव्रत; त्रस हिंसा से विरति तथा स्थावर हिंसा से अविरति “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == निन्दा : == मा कस्स वि कुण णिंदं होज्जसु गुण—गेण्हजुज्जओ णिययं। —कुवलयमाला : ८५ किसी की निन्दा मत करो, गुणों को ग्रहण करने में उद्यम करो।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्निग्ध गुण – Snigdha Guna. Greasiness, smoothness.फ्ुद्गलों के स्नेह और रुक्ष दो गुणो मे एक गुण। चिकण्णपना अर्थात् चिकनाई, जिसके कारण परमाणुओ मे बंधा होता है।
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == लेश्या : == योगप्रवृत्तिर्लेश्या, कषायोदयानुरंजिता भवति। तत: द्वयो: कार्यं, बन्धचतुषक् समुद्दिष्टम्।। —समणसुत्त : ५३२ कषाय के उदय से अनुरंजित मन—वचन—काय की योग प्रवृत्ति को लेश्या कहते हैं। इन दोनों अर्थात् कषाय और योग का कार्य है चार प्रकार का कर्म—बन्ध। कषाय से कर्मों की स्थिति और अनुभाग बन्ध…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थूल ऋजुसूत्र नय – Sthuula Rjusuutra Naya. A view point related to the gross momentary state of something (body etc).अनेक समयवर्ती स्थूल पर्याय को जो ग्रहण करे वह नय, जैसे मनुष्यादि पर्याय।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] बेलाव्रत – Bela Vrata. A type of particular vow (fasting of two days). प्रथम दिन एकाशन , पुन: विवक्षित दो दिन उपवास तथा अगले दिन दोपहर को एकाशन करना”
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वीर कवि –ViraKavi. Name of a great writer of ‘JambusamiChariu’ जम्बुसमी चरिउ, अपभ्रंश भाषा बद्ध ग्रन्थ के कर्ता ” समय ई १०१९ “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थिति बंध अध्यवसाय स्थान – Sthiti Bamdha Adhyavasaaya Sthaana. Passionful thoughts causing binding of karmas with the soul.स्थितिबंध के लिये कारणभूत आत्मा के कषाय युक्त परिमाण। इनको कषाय अध्यवसाय स्थान भी कहते है।