पार्श्वदेव!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पार्श्वदेव – Parsvadeva. Disciple of Yashdevacharya and who wrote Sangitsamaysar. संगीतसमयसार के रचयिता एवं यशदेवाचार्य के शिष्य “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पार्श्वदेव – Parsvadeva. Disciple of Yashdevacharya and who wrote Sangitsamaysar. संगीतसमयसार के रचयिता एवं यशदेवाचार्य के शिष्य “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सुमनस – Sumanasa. The first heavenly aboding place of Urddhva Graiveyak. ऊध्र्व ग्रैवेयक का प्रथम इन्द्रक विमान ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पारा – Para. Mercury, A river of Bharat Kshetra in Arya Khand (region). एक धातु, भरत क्षेत्र आर्यखण्ड की एक नदी “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लेश्या मार्गणा – Leshyaa maarganaa.: Investigation of attitudes of beings. 14 मार्गणाओं में एक मार्गणा जिससे जीव के भावों का अन्वेषण किया जाता है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रकरण – Prakarana. Topic, Section, Part. विषय, प्रसंग, किसी कृति का छोटा भाग “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पापकर्मैकसग्रता- Papakarmaikasargata. Absence of the sense of right knowledge- an infraction of mditative relaxation. कायोत्सर्ग का एक अतिचार; कर्तव्य अकर्तव्य के विवेक से शून्य होना, मूढ़ता और कायोत्सर्ग के समय हिंसादि के परिणामों का उत्कर्ष होना”
चतुरिन्द्रिय Four – sensed beings. स्पर्शन , रसना , घ्राण , चक्षु ये ४ इन्द्रियाँ जिन जीवों के होती हैं वे चतुरिन्द्रिय जीव हैं . जैसे -मक्खी , मच्छर आदि ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
थोस्सामिदंडक A lesson for the prayer of Jaina Lord . थोस्सामिहं जिणवरे-इत्यादिरूप एक चौबीस तीर्थंकर स्तुति का प्राकृत पाठ। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पात्री :Name of an auspicious article kept near the idol of Lord Arihant.जिन प्रतिमा के पास विद्यमान रहने वाले 108 उपकरणो मे से एक।