पुण्य (तत्त्व)!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुण्य (तत्त्व) – Punya (Tattva) Merits, Pious qualities or elements. जीव के दया, दानादि रूप शुभ परिणाम जिससे आत्मा विशुद्ध हो पुण्य कहलाते हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुण्य (तत्त्व) – Punya (Tattva) Merits, Pious qualities or elements. जीव के दया, दानादि रूप शुभ परिणाम जिससे आत्मा विशुद्ध हो पुण्य कहलाते हैं “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == मरण : == एकं पण्डितमरणं, छिनत्ति जातिशतानि बहुकानि। तद्मरणे मत्र्तव्यं, न मृत: सुमृत: भवति।। —समणसुत्त : ५७० एक पंडित मरण (ज्ञानपूर्वक मरण) सैकड़ों जन्मों का नाश कर देता है। अत: इस तरह मरना चाहिए, जिससे मरण सुमरण हो जाए। एकं पण्डितमरणं, प्रतिपद्यते सुपुरुष: असम्भ्रान्त:। क्षिप्रं स मरणानां, करिष्यति…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंचास्तिकाय – Panchaastikaaya. A great treatise written by Acharya Kund-kund. आचार्य कुन्द-कुन्द (ई.127-179) द्वारा रचित ग्रंथ “
ण The fifteenth consonant of the Devanagari syllabary. देवनागरी लिपि का पन्द्रहवाँ व्यंजन अक्ष्सार, इसका उच्चारण स्थान मूर्धा है। [[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] बालयती – Balayati. A celibate saint from childhood. अविवाहित रहकर जो कुमार अवस्था मे ही दीक्षा धारण कर लेते हैं, ऐसे मुनि ” चौबीस तीर्थकरो मे से पाँच तीर्थकर (वासुपूज्य, मल्लिनाथ,नेमिनाथ, पाश्रृनाथ व महावीर स्वामी) बालयती हुए है “
एकत्व भावना Feeling of unitariness (reg. difference in soul & family etc.). कुटुम्ब परिवार आदि को आत्मा से भिन्न करना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
देवयश Name of the 19th Teerhankar (Jaina Lord) of Videh kshetra (region). विदेह क्षेत्र में स्थित 19 वें तीर्थंकर का नाम।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वाणप्रस्थ – Vaanaprastha.: The third progressive spiritual stage of mundane life. वानप्रस्थ आश्रम ;सप्तम प्रतिमाधारी से लेकर 11वीं उद्दिष्ट प्रतिमाधारी तक उत्कृष्ट वाणप्रस्थ खंड वस्त्रधारी क्षुल्लक व ऐलक हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंचाध्यायी – Panchaadhyaayee. A book written by Pandit Rajmal ji. पं. राजमलजी (ई. 1593) कृत एक संस्कृत ग्रंथ “