त्याग!
त्याग Renunciation (related to all passions). छोडना, विरक्त होना, सारे पर द्रव्यों के मोह को छोडकर संसार देह और भोगों से उदासीनता। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
त्याग Renunciation (related to all passions). छोडना, विरक्त होना, सारे पर द्रव्यों के मोह को छोडकर संसार देह और भोगों से उदासीनता। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मिश्रशरीर काल–Mishra Shareer Kaal. Duration of growth time period of complete body formation. आहार ग्रहण से शरीर पर्याप्ति तक का काल”
तृण स्पर्श Affliction in the grassy resting with troublesome materials. 22 परीषहों में एक परीषह , सूखे तिनके, कंकर , पत्थर आदि की वेदना को समतापूर्वक सहन कराना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मृगारिदमन–Mragaridaman. A king of Rakshas dynasty. रक्षास्वंश का एक विघाधर राजा”
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भावश्रुत – Bhavasruta. Acquisition of scriptural knowledge by listening of Dvadshang. द्वादशांग (जिनवाणी) के सुनने से जो स्वसंवेदन रूप ज्ञान होता है वह भावश्रुत है “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == वाणी : == पुव्विं बुद्धीए पासेत्ता, तत्तो वक्कमुदाहरे। अचक्खुओ व नेयारं, बुद्धिमन्नेसाए गिरा।। —व्यवहारभाष्य पीठिका : ७६ पहले बुद्धि से परखकर फिर बोलना चाहिए। अंधा व्यक्ति जिस प्रकार पथ—प्रदर्शक की अपेक्षा रखता है, उसी प्रकार वाणी बुद्धि की अपेक्षा रखती है।
तिर्यग्त्रिक A triplet related to Tiryanch beings. तिर्यचगति, तिर्यचगत्यानुपूर्वी, तिर्यंच आयु। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वैक्रियिक काययोग –VaikriyikaKayayaga Vibration in the soul points of transformable body of deities & hellish beings. वैक्रियिक शरीर में या उसके द्वारा जो आत्मा के प्रेदशो में परिस्पंदन होता हैं उसको वैक्रियिक काययोग कहते हैं “
तिर्यग्व्तिक्रम Exceeding the limits set in the direction, namely horizontally. दिग्व्रत का एक अतिचार, समान धरातल में की गई सीमा का उल्लंधन करना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]