धातकी वृक्ष!
धातकी वृक्ष Particular tree situated in Dhatkikhand (island). धातकीखंडद्वीप में पृथ्वीकायिक रत्नों से निर्मित आंवले का वृक्ष, जिससे धातकी खंडद्वीप का नाम सार्थक होता है। इसके परिवारवृक्ष 2 लाख 80 हजार 238 हैं। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
धातकी वृक्ष Particular tree situated in Dhatkikhand (island). धातकीखंडद्वीप में पृथ्वीकायिक रत्नों से निर्मित आंवले का वृक्ष, जिससे धातकी खंडद्वीप का नाम सार्थक होता है। इसके परिवारवृक्ष 2 लाख 80 हजार 238 हैं। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विनमि – Vinami. Name of the 78th chief disciple of Lord Rishabhdev. भगवान वृषभदेव के ७८वें गणधर ” महाकच्छ के पुत्र “
उनोदर Semi-fasting, Under-eating, less food taking than appetite. भूख से कम खाना। अपरनाम अवमौदर्य।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्वपाक – Svaaka. Name of a super power possessed by Nami & Vinami Vidyadhars. धरणेन्द्र की दिति देवी के द्वारा नमि और विनमि विद्याधरो को दिया गया एक विद्या निकाय।
धर्मश्रवण The act of listening to sacred books etc. धर्म शास्त्र आदि को सुनना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
==हिंसा== प्रमाद से अपने या दूसरों के प्राणों का घात करने को हिंसा कहते हैं। इस पाप के करने वाले हिंसक, निर्दयी, हत्यारे कहलाते हैं। यशोधर महाराज ने शांति के लिए अपनी माता की प्रेरणा से आटे का मुर्गा बनाकर चंडमारी देवी के सामने बलि चढ़ा दी। इस संकल्पी हिंसा के पाप से वे पुत्र…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सत्संगति – Satsangati. Company of noble persons. सज्जन पुरुषों की संगति ” मनुष्य सज्जन के सहवास से सज्जन एवं दुर्जन के सहवास से दुष्ट बनता है “
धर्मभूषण (भट्टारक) A Bhattarak who wrote ‘Parmeshthi Puja’, etc. many books. परमेष्ठीपूजा , रत्नत्रयोद्यापन आदि के कर्ता। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] पृष्ठक – Prsthaka. Name of the 28th patal (layer) & Indrak of saudharma heaven. सौधर्म स्वर्ग के २८ वें पटल व इंद्रक का नाम “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्वगुरु स्थापनावाप्ति क्रिया – Svaguru-Sthapanaavaapti kriyaa. A type of auspicious activity, entrusting the responsibility of group by the chief saint to other succeeding saint.गर्भन्वय की 53 क्रियाओ मे 23 वी क्रिया। गुरु की भांति स्वयं भी अवस्था विषेष को प्राप्त हो जाने पर संध से योग्य षिष्य को छांटकर उसे गुरु पद का भार…