देवभाव!
देवभाव A chief disciple of Lord Rishabhdeva. भगवान् ऋषभदेव के चैरासी गणधरों में एक गणधार।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
देवभाव A chief disciple of Lord Rishabhdeva. भगवान् ऋषभदेव के चैरासी गणधरों में एक गणधार।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सागार – Saagaara. Householders, lay followers. गृहस्थ। गृह मे रहने वाले गृहस्थधर्म पालक। अर्थात् सकल परिग्रह सहित धर मे रहने वाले सागार कहलाते हेै।
ऊर्ममालिनी Name of a river. पश्चिम विदेह के सीतोदा नदी के तट में तीसरी विभंगरा नदी।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
उमा Mother’s name of the 18th Jaina-Lord ‘Mahabhadra’ of Videh Kshetra (a region). विदेह क्षेत्र में स्थित 18 वें तीर्थंकर महाभद्र की माता।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] राजसेना – राजा की सेना इसकी 18 श्रेणिया होती है। Rajasena- The army of a king
[[श्रेणी: शब्दकोष]]हैरण्यवत् – Hairanyavat. Name of the summits of Ruchak & Shikhari mountains and of their deities. रुक्मि पर्वतस्थ एक कूट व उसका स्वामी देव, षिखरी पर्वतस्थ एक कूट व उसका स्वामी देव।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] राजसूय – चक्रवर्ती सागर के समय मे प्रचलित राजाओं के द्धारा किया जाने वाला एक अनार्थ यज्ञ। महाकाल असुर के द्वारा हिंसा की प्रेरणा देने के लिए ये चलाया गया था। Rajasuya-Name of a violenceful yagya (sacrificial fire) prevalent at the time of Chakravarti sagar
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विशालाक्ष – Vishalaksha. Name of the 63rd son of king Dhritrashtra, Name of the Nagendra deity of Sphaticprabh summit of kundal mountain, Name of the 65th chief disci-ple of Lord Rishabhdev. राजा धृतराष्ट्र व रानी गांधारी का ६३ वां पुत्र, कुण्डल पर्वत के स्फटिक प्रभ कूट का स्वामी नागेन्द्र देव, भगवान वृषभदेव…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लब्ध्यप्र्याप्तक – अपर्याप्तक नाम कर्म के उदय से जो जीव अपने योग्य पर्याप्तियों को पूर्ण किए बिना ही ष्वास के 18 वें भाग में मरण को प्राप्त हो जाता है अर्थात जिसके एक भी पर्याप्ति पूर्ण नही होती उसे लब्ध्यप्र्याप्तक कहते हैैं। Labdhyaparyaptaka-Absolutely, non development beings (Having very short life)