धर्मचक्र विधान की आरती
धर्मचक्र विधान की आरती तर्ज-जिया बेकरार है........... जिनवर का दरबार है नमन करें शतबार है। धर्मचक्र की देखो कैसी महिमा अपरंपार है।।टेक.।। मंगल आरति लेकर प्रभु जी आया तेरे द्वार जी। धर्मचक्र का पाठ करे जो होगा बेड़ा पार जी।। यही जगत में सार है, झूठा सब संसार है।।धर्म.।।१।। चौबीसों जिन पंच परम गुरु,...