शाश्वत तीर्थंकर परम्परा १.१ संसार सागर को स्वयं पार करने वाले और दूसरों को पार करने का मार्ग बताने वाले तथा धर्म तीर्थ के प्रवर्तक महापुरुष तीर्थंकर कहलाते हैं। ये स्वयं तो मोक्ष प्राप्त करते ही हैं, अन्यों को भी मोक्ष प्राप्त करने का मार्ग बताते हैं। तीर्थंकर बनने के संस्कार १६ कारण भावनाओं के…
शलाका पुरुष ६.१ जो पुरुष पीड़ित किये जाने पर भी अपशब्द या कठोर वचन नहीं बोलते हैं और रत्न-त्रय धारण करके अपनी आत्मा का कल्याण करते हैं, वे महापुरुष कहलाते हैं। जैन आगम में १६९ महापुरुष बताये गये हैं। इनमें ६३ शलाका पुरुष हैं और १०६ अन्य महापुरुष हैं। इन्हें उत्तमपुरुष, दिव्यपुरुष अथवा पुराणपुरुष भी…
कुलकर (मनु): एक समाज व्यवस्थापक ५.१ कर्म-भूमि के प्रारंभ में आर्य पुरुषों को कुल या कुटुम्ब की भांति इकट्ठे रहकर जीने का उपदेश देने वाले महापुरुष कुलकर कहलाते हैं। प्रजा के जीवन-यापन के उपाय जानने के कारण ये मनु भी कहलाते हैं। प्रत्येक अवसर्पिणी काल के तीसरे काल के अंत होने में जब १/८ पल्य…
काल चक्र ४.१ यह जीव अनेक बार जीवन-मरण को प्राप्त होता है अर्थात् जन्म लेता है और आयु पूर्ण होने पर मर जाता है। पुनः जन्म लेता है और आयु पूर्ण होने पर पुनः मर जाता है। द्रव्य के इस परिणमन को काल कहते हैं। वस्तुओं और क्षेत्रों में जो परिवर्तन कराता है वह काल…
जैनधर्म की प्राचीनता ३.१ प्रवाह की दृष्टि से जैनधर्म अनादि है। समय का चक्र अनादिकाल से अबाधगति से चल रहा है। उसका प्रभुत्व सब पर है। चेतन और अचेतन-सब उससे प्रभावित हैं। धर्म भी इसका अपवाद नहीं है। धर्म शाश्वत होता है, पर उसकी व्याख्या समय के साथ बदलती रहती है। वर्तमान में जैन धर्म…
णमोकार मंत्र २.१ जैनधर्म में व्यक्ति पूजा का नहीं, गुण पूजा का महत्व है। गुणों की पूजा को भी प्रश्रय इसलिए दिया गया है, ताकि वे गुण हमें प्राप्त हो जाये। गुण पूजा का प्रतीक णमोकार महामंत्र है। यह मंत्र किसी ने बनाया नहीं है बल्कि सदा से इसी रूप में चला आ रहा है।…
धर्म और दर्शन १.१ भारत एक धर्म प्रधान देश है। आदिकाल से ही यहाँ के अनेक तत्त्व चिंतकों ने जीवन और जगत् के संबंधों को पहचाना है। उसके रहस्य को समझा है। व्यक्ति के सुख-दु:ख, लाभ-हानि, जीवन-मरण, संयोग-वियोग के कारणों पर उनका ध्यान गया। उन्होंने व्यक्ति के राग द्वेषादिक द्वंदों तथा उसके जन्म और मृत्यु…