णमोकार मंत्र २.१ जैनधर्म में व्यक्ति पूजा का नहीं, गुण पूजा का महत्व है। गुणों की पूजा को भी प्रश्रय इसलिए दिया गया है, ताकि वे गुण हमें प्राप्त हो जाये। गुण पूजा का प्रतीक णमोकार महामंत्र है। यह मंत्र किसी ने बनाया नहीं है बल्कि सदा से इसी रूप में चला आ रहा है।…
जैनधर्म का मूल मंत्र अनाधिनिधन णमोकार महामंत्र -गणिनी आर्यिका ज्ञानमती णमो अरिहंताणं णमो सिद्धाणं णमो आइरियाणं णमो उवज्झायाणं णमो लोए सव्वसाहूणं।। जैनधर्म में निहित णमोकार महामंत्र का अर्थ एवं महिमा णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आइरियाणं। णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्वसाहूणं।।१।। अरिहंतों को नमस्कार हो, सिद्धों को नमस्कार हो, आचार्यों को नमस्कार हो, उपाध्यायों को…
णमोकार मंत्र की साधकता णमोकार मंत्र की साधकता एक तुलनात्मक विश्लेषणजैन शास्त्रों में मंत्र विद्या विद्यानुप्रवाद एवं प्राणवाय पूर्वों का महत्वपूर्ण अंग रही है। इसका ७२ कलाओं में भी उल्लेख है। इस विद्या के बल पर ही भूतकाल में अनेक आचार्यों ने जैन तंत्र को सुरक्षित, संरक्षित एवं संबर्धित किया है। फलत: यह एक प्राचीन…
णमोकार मंत्र का माहात्म्य (श्री उमास्वामि आचार्यविरचित) हिन्दी पद्यानुवाद-आर्यिका चन्दनामती विष्लिष्यन् घनकर्मराशिमशनि: संसारभूमीभृत:। स्वर्निर्वाणपुरप्रवेशगमने, नि:प्रत्यवाय: सतां।। मोहांधावटसंकटे निपततां, हस्तावलम्बोऽहतां। पायान्न: स चराचरस्य जगत: संजीवनं मन्त्रराट्।।१।। (१) णमोकार यह मंत्रराज, घनकर्म समूह हटाता है । यह संसार महापर्वत, भेदन में वज्र कहाता है ।। सत्पुरुषों को स्वर्ग मोक्ष दे, संकट दूर भगाता है । मोह महान्धकूप…