गणिनी माँ ज्ञानमती की, शिष्या चंदनामती की!
भजन तर्ज-जपूँ मैं जिनवर जिनवर……… गणिनी माँ ज्ञानमती की, शिष्या चंदनामती की। दीक्षा रजत जयंती का शुभ अवसर आया है अवसर-२………………. धन्य टिकैतनगर की धरती, मोहिनी माँ की बगिया महकी। छोटेलाल पितु धन्य हुए इन्हें पाकर……. हुए रत्नाकर-२………………..।।१।। श्रावण शुक्ला ग्यारस तिथि में। गजपुर में दीक्षा ली तुमने।। ज्ञानमती सम गुरु को पाया तुमने…. पाया…